नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद “चीजों को ठीक” करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इन चुनावों के नतीजे साफ करते हैं कि कांग्रेस में चीजों के दुरुस्त करना होगा। गौरतलब है कि असम और केरल में सत्ता में वापसी का प्रयास कर रही कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी है।
कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक के संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा, “हमें इन गंभीर झटकों का संज्ञान लेने की जरूरत है। यह कहना कम होगा कि हम बहुत निराश हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनावी हार के कारणों पर विचार करने के लिए एक छोटे समूह का गठन करना चाहती हैं और उससे बहुत जल्द रिपोर्ट ली जाए।”
बैठक के संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘हमें ये समझना होगा कि हम केरल और असम में मौजूदा सरकारों को हटाने में विफल क्यों रहे तथा बंगाल में हमारा खाता तक क्यों नहीं खुला? सोनिया ने आगे कहा, ‘‘जब हम बीते 22 जनवरी को मिले थे तो हमने फैसला किया था कि कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव जून के मध्य तक पूरा हो जाएगा। चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री ने चुनाव कार्यक्रम तय किया है। वेणुगोपाल कोविड-19 और चुनाव नतीजों पर चर्चा के बाद इसे पढ़ेंगे।’
महामारी को लेकर केंद्र पर साधा निशाना
देश में कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर सोनिया ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने केंद्र पर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय इच्छाशक्ति एवं संकल्प को प्रदर्शित करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की डिजिटल बैठक में यह भी कहा कि सभी को टीका लगना चाहिए और टीकाकरण के खर्च का वहन केंद्र सरकार को करना चाहिए। सोनिया ने सीडब्ल्यूसी की पिछली बैठक का उल्लेख करते हुए कहा, ”पिछले 17 अप्रैल को हम लोग मिले थे। इसके बाद चार हफ्तों के दौरान कोविड-19 के हालात और भी भयावह हो गए। सरकार की नाकामियां और भी सामने आ गईं। वैज्ञानिक सलाह को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने महामारी को लेकर लापरवाही बरती और ‘सुपर स्प्रेडर (संक्रमण का प्रसार करने वाले) कार्यक्रमों को जानबूझकर अनुमति दी गई जिसकी देश भारी कीमत चुका रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ”देश में स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। टीकाकरण की गति बहुत धीमी है और इसका विस्तार उस गति से नहीं किया जा रहा है जिसकी जरूरत है।