
राजस्थान जन सांस्कृतिक परिषद् के तत्वावधान में आयोजित ‘लोहागढ़ साहित्य सुमन’ पुस्तक का विमोचन, साहित्यकार सम्मान एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन रविवार को भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। साहित्यकारों द्वारा रचित रचनाओं का संकलन जिसमें गद्य एवं पद्य दोनों विधाओ में संकलित ‘‘लोहागढ़ साहित्य सुमन’’ पुस्तक का मंचस्थ मुख्य अतिथि सुनील प्रधान, परिषद् के प्रांतीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार वेदप्रकाश वेद की अध्यक्षता में एवं प्रांतीय सचिव राजेन्द्र अनुरागी,उपाध्यक्ष हरीश चन्द शर्मा ‘हरि’, श्यामसिंह जघीना, देवेन्द्र चामड, जिलाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ.अशोक कुमार गुप्ता, जिला सचिव लोकेश सिंघल के विशिष्ठ आतिथ्य में साझा संकलन पुस्तक का विमोचन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं कवि गोविन्द सिंह डागुर की सरस्वती वन्दना से हुआ। परिषद् द्वारा मंचस्थ अतिथियों का दिलीप गुप्ता, देवेन्द्र सिंह, सी.एस. कृष्णा, राकेश राजस्थानी, अभिषेक अमर, प्रियंका देवी एवं मोनिका सिंघल द्वारा माला,साफा पहनाकर स्वागत सम्मान किया। जिला सचिव लोकेश सिंघल ने बताया कि यह कार्यक्रम तीन सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में साझा संकलन ‘लोहागढ़ साहित्य सुमन’, वेदप्रकाश वेद द्वारा ‘‘शब्दों के किरदार, श्यामलाल सैनी द्वारा रचित ‘‘बहते झरने भावों के’’ अनीता सिंह सुरभि द्वारा – ‘‘रजत रश्मि’’ डा. शैलेश तिवारी – ‘‘सुनो मन’’ पुस्तकों के विमोचन से हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे 61 साहित्कारों का सम्मान किया गया। जिसमें मंचस्थ अतिथियों द्वारा उन्हें माला, साफा, पटका, गणेश जी का चित्र, पुस्तक एवं अभिनन्दन पत्र प्रदान किया गया।इस अवसर पर प्रत्येक साहित्यकार को उनके द्वारा की जा रही साहित्य साधना के लिए ‘लोहागढ़ साहित्य मनीषी’ की उपाधि से विभूषित किया गया।परिषद् के प्रांतीय सचिव राजेन्द्र अनुरागी द्वारा परिषद् के क्रिया कलापों का परिचय एवं विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। साहित्यकारों को पुरस्कार प्रदान करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुनील प्रधान ने आह्वान किया कि आज के पारिवारिक एवं सामाजिक विघटन के दौर में भटकते युवाओं पर अपनी लेखनी के माध्यम से कवियों द्वारा इन्हें मार्गदर्शन मिले ऐसी रचनाओं की आज बेहद आवश्यकता है। उन्होंने इस अवसर पर समाज में कवियों के योगदान की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि जहांँ न पहुंँचे रवि वहांँ पहुंचे कवि आज सही चरितार्थ है।तीसरे सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। जिसमें साहित्यकार मनमोहन अभिलाषी – ‘‘एक दिन सुमन’’ लोकेश सिंघल – ‘‘छोटौ सौ मौहल्ला’’ राजेन्द्र अनुरागी – ‘‘मेरौ मन वृन्दावन’’ प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार गुप्ता – ‘‘बृज भूमि है निराली ब्रजराज भी निराला’’ श्याम सिंह जघीना – ‘‘कभी खुशी कभी गम’’ कु. देवेन्द्र सिंह – ‘‘सोच हर पल’’ झालावाड से आये निर्मल औदिच्य – ‘‘नेह भाषा हिय की’’ नगर से अभिषेक अमर – ‘‘पाकिस्तान नहीं रह पायेगा’’ ओमप्रकाश कुन्तल – ‘‘धूमधाम से व्रत करे’’ डा. कृष्ण कन्हैया – ‘‘अखबारों में छपे नहीं वो’’ वेद प्रकाश वेद – ‘‘इस हिन्दी में पूरा हिन्दुस्तान रहे’’ नगर से हरीश चन्द हरि – ‘‘साजन ऐसे दीप जरैयो’’ जयपुर से रामबाबू राज- ‘‘मन फिर मिले न मिले’’। डॉ. रामदास शर्मा, सुरेश सुनार, डी.के. हंसमुख, डॉ. सुरेश चतुर्वेदी, राधा किशन सैनी, जया गुप्ता, चन्द्रभान फौजदार, प्रियंका पुरोहित, गोविन्द डागुर, डॉ. शैलेष तिवारी, डॉ. अविनाश सोनी, लोकेन्द्र सुमन, पूजा शर्मा, रमेश अधीर, बृजेन्द्र झाला, सबरस मुरसानी, प्रवेश अकेला आगरा, अमर सिंह विद्रोही, राकेश राजस्थानी, हरिओम गौतम, डॉ. एन एल शर्मा, सुभाष शर्मा, सुरेश शर्मा, पूनम चतुवेर्दी, पूर्णिमा पूनम, ओमप्रकाश आजाद आदि दूरदराज से आये कवियों ने काव्य पाठ कर सभी को मंत्र मुग्ध ही नहीं अपितु हंँसा-हँसा कर तालियांँ वटोरने के लिये भी मजबूर कर दिया। कार्यक्रम एवं काव्य गोष्ठी का सफल संचालन वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर डॉ.अशोक कुमार गुप्ता एवं गीतकार श्याम सिंह जघीना ‘मधुर’ ने किया। धन्यवाद एवं आभार कवि लोकेश सिंघल ने व्यक्त किया।