Rajasthan Elections: गहलोत बनाम राजे नहीं है लड़ाई? दोनों के सामने क्या हैं अलग-अलग चुनौतियां, ये होंगे तीन बड़े मुद्दे


Rajasthan: भाजपा के लिए कठिन सवाल वसुंधरा राजे बनी हुई हैं। वह भाजपा राजस्थान की सबसे कद्दावर नेता हैं। राजपूत समुदाय में उनकी पैंठ हैं लेकिन अटकलें हैं कि भाजपा ने उन्हें दरकिनार किया है और इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है।

जयपुर. राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। भाजपा अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है और कांग्रेस के भीतर मंथन जारी है। 5.2 करोड़ मतदाता अपनी नई सरकार चुनने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। एक तरफ अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के सहारे इस उम्मीद में है कि वह प्रदेश की पुरानी सियासी परंपरा को तोड़ेंगे जिसमें एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का चलन है, वहीं भाजपा बिना मुख्यमंत्री पद का चेहरा सामने लाए मैदान में है।

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 200 सदस्यीय सदन में 100 सीटों के साथ सत्ता हासिल की थी और वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को मात दी थी। इससे पहले 2013 विधानसभा में बीजेपी को 163 सीटों के साथ प्रचंड जीत मिली और वसुंधरा राजे सीएम बनीं थीं।

क्या होंगे बड़े मुद्दे?
राजस्थान ऐसा राज्य हैं जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध और लगातार परीक्षा पेपर लीक के बड़े मुद्दे मौजूदा गहलोत सरकार की परीक्षा ले रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या भाजपा इन मुद्दों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर पाएगी या नहीं? भाजपा के लिए कठिन सवाल वसुंधरा राजे बनी हुई हैं। वह भाजपा राजस्थान की सबसे कद्दावर नेता हैं। राजपूत समुदाय में उनकी पैंठ हैं लेकिन अटकलें हैं कि भाजपा ने उन्हें दरकिनार किया है और इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है।

अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे?
माना जा रहा है कि दरकिनार किये जाने के बावजूद राजस्थान में भाजपा की सबसे ताकतवर नेता वसुंधरा राजे ही हैं। दूसरी ओर 72 साल की उम्र में भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं।

हालांकि यह सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच सीधी लड़ाई नहीं है। दोनों नेताओं की अपनी-अपनी पार्टियों में भी प्रतिद्वंदी हैं। जहां अशोक गहलोत को चिंता करने के लिए 46 वर्षीय सचिन पायलट हैं, वहीं वसुंधरा राजे को 52 वर्षीय दीया कुमारी की चिंता है, क्योंकि अटकलें हैं कि भगवा पार्टी उन्हें वसुंधरा राजे की जगह खड़ा करने की कोशिश में है।

राजस्थान में इन मुद्दों का होगा शोर

  1. राजस्थान में परीक्षाओं के पेपर लीक होना लगभग आम बात हो गई है। इस कार्यकाल में ही कम से कम 14 ऐसे मामले हुए हैं जब परीक्षा के पेपर लीक हुए, जिससे लगभग 1 करोड़ युवा प्रभावित हुए। राजस्थान में 48.92 लाख मतदाता पहली बार मतदान कर रहे हैं और निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में उनका गुस्सा कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है।
  2. राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक बार-बार होने वाली समस्या रही है। इस जुलाई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि राजस्थान में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न से संबंधित कुल 33,000 मामले हैं, लेकिन गांधी परिवार चुप है। वसुंधरा राजे ने दावा किया है कि महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध राजस्थान में हुए हैं, जहां अकेले 54 महीनों में 10 लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं। इस बार राज्य में 2.51 करोड़ महिला मतदाता हैं।
  3. कांग्रेस नेता सचिन पायलट को कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा था, यह मुद्दा भी काफी अहम है। जयपुर के दोनों मेयरों को रिश्वतखोरी के मामलों में उनके पतियों के शामिल होने के कारण निलंबित कर दिया गया था। बीजेपी ने राजस्थान सरकार की मुफ्त राशन किट योजना में ‘बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाया था। यहां माना जा सकता है कि राजस्थान में करप्शन भी एक मुद्दा हो सकता है।

Jagruk Janta

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