शरद पवार वही करते हैं जो उन्हें ठीक लगता है। I.N.D.I.A गठबंधन मना करता रहा लेकिन वह आज पुणे में उस कार्यक्रम में पहुंचे जहां पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस दौरान मंच पर पवार और मोदी के बीच गर्मजोशी देखी गई। पवार ने मुस्कुराते हुए पीएम की पीठ पर हाथ भी फेरा।
नई दिल्ली: ये मुलाकात इक बहाना है, प्यार का सिलसिला पुराना है, धड़कनें धड़कनों में खो जाएं, दिल को दिल के करीब लाना है… यह गीत वैसे तो फिल्मी है लेकिन आज पुणे की एक तस्वीर से काफी मेल खाता है। आप वह तस्वीर देखते हुए यह गीत गुनगुना सकते हैं। हां, एक बात और, यह देखकर विपक्षी गठबंधन के नेताओं की धड़कनें भी बढ़ गई होंगी। वैसे भी, राजनीति में मिलने-बिछड़ने का सिलसिला पुराना है। पुणे के एक मंच पर जब एनसीपी चीफ शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिले तो ‘दिल को दिल के करीब लाना’ वाली लाइन यूं ही सियासी जानकारों के जेहन में गूंजने लगीं। क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कुछ बड़ा गेम होने वाला है। क्या पिछले दिनों एनसीपी का शिंदे सरकार के साथ जाना सोची समझी रणनीति थी? ऐसे सवाल तो उसी दिन से उठ रहे हैं जब अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए थे। लेकिन आज मोदी-पवार की गर्मजोशी देख फिर से वही बातें होने लगी हैं।
‘खानदान’ फिल्म के इस गाने की अगली लाइनें भी ध्यान से याद कीजिए- ख़्वाब तो कांच से भी नाज़ुक है, टूटने से इन्हें बचाना है। पवार की मुस्कुराहट देखकर कांग्रेस ही नहीं, पूरे विपक्षी गठबंधन को यह डर सताने लगा होगा कि उन्हें अब टूट से बचना होगा। यह ऐसा वक्त है जब भाजपा के खिलाफ विपक्ष ठीक तरह से एकजुट भी नहीं हो पाया है। ये सब बातें क्यों हो रही हैं, यह समझने के लिए आप पहले वीडियो देख लीजिए।
नरेंद्र मोदी और शरद पवार ने मंच किया साझा, हाथ मिलाया और लगाया ठहाका
दरअसल, राजनीति में हंसने, मुस्कुराने, थपकी देने के भी अपने मायने होते हैं। आज जब कुछ इसी अंदाज में शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई तो चर्चा चल पड़ी। पवार की अपनी बनाई पार्टी टूटी, सत्ता छूटी, पिछले दिनों वह मोदी की आलोचना कर रहे थे लेकिन आज की तस्वीर कुछ अलग थी। मोदी से मिलकर पवार खिलखिलाकर हंस रहे थे। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के नेताओं ने उन्हें रोकने की लाख कोशिशें कीं लेकिन महाराष्ट्र के सियासी चाणक्य नहीं माने। वह आज के कार्यक्रम के लिए (पीएम मोदी से मुलाकात के लिए) कितना बेताब थे, वह आप ऐसे समझिए कि पुणे के उस मंच पर पवार सबसे पहले जाकर बैठ गए थे। जी हां, नीचे तस्वीर देखिए अभी कोई भी गेस्ट नहीं आया है और शरद पवार मंच पर अकेले बैठे हुए हैं।
मौका था लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह का। कई दिनों से इस कार्यक्रम की चर्चा थी। क्या पवार जाएंगे? मोदी से कैसे मिलेंगे पवार। हालांकि तमाम अटकलों और विपक्षी खेमे की आपत्तियों के बावजूद पवार ने मोदी के साथ मंच साझा किया। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने पवार से कहा था कि ऐसे वक्त में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चा बनाया जा रहा है, उनका इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा। पवार ने उन सांसदों से मुलाकात ही नहीं की, जो उन्हें इस समारोह में शामिल न होने के लिए मनाना चाहते थे। आज पवार से मिलकर मोदी ने हथेली पर कुछ लिखने का इशारा किया। क्या बात हुई, वो तो पता नहीं लेकिन इतना जरूर है कि नेता इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं।
प्रधानमंत्री को उनके ‘सर्वोच्च नेतृत्व’ और ‘नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।