नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामले के बीच अर्थव्यवस्था की रिकवरी पटरी से न उतरे इसके लिए केंद्र सरकार एक और राहत पैकेज ला सकती है। ज्यादातर राज्य कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण नाइट कर्फ्यू और प्रतिबंध लगा रही हैं और इससे अर्थव्यवस्था के सुधार पर असर पड़ सकता है।
अगर महामारी की दूसरी लहर गरीबों की आजीविका को बाधित करती है, यह पैकेज गरीबों को राहत दे सकता है। इस मामले की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने इसकी जानकारी दी।
सरकार ने पिछले साल 26 मार्च से 17 मई के बीच आर्थिक प्रोत्साहन-सह-राहत पैकेज की घोषणा की थी। ताकि, कोविड-19 से बुरे तरीके से प्रभावित कारोबारी गतिविधियों को सुधारा जा सके। केंद्र सरकार ने 20.97 लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया था।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य प्रमुख विभाग एक अन्य प्रोत्साहन के लिए जरूरत और समय के लिए हितधारकों के संपर्क में हैं। नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि एक राष्ट्रव्यापी सख्त लॉकडाउन को प्रधानमंत्री ने खारिज कर दिया गया है। सरकार उद्योग की किसी भी आवश्यकता, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) का जवाब देगी। ताकि, आर्थिक गतिविधियों और आजीविका बाधित न हो।
केंद्र अपने टीकाकरण अभियान का विस्तार भी कर सकता है ताकि कोविड -19 के प्रसार को कम किया जा सके। इस मामले से जुड़े व्यक्ति ने बताया कि औद्योगिक श्रमिकों का टीकाकरण विचाराधीन है। उनकी उम्र चाहे कितनी भी हो इससे फर्क नहीं पड़ने वाला और उन्हें टीकाकरण की उपलब्धता के आधार पर टीका लगाया जाएगा।
भारत ने मंगलवार को ड्रग रेगुलेटर ने स्पुतनिक वी वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। इस कदम से आने वाले महीनों में वैक्सीन की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और उद्योग प्रतिनिधियों से विशिष्ट जानकारी ले रहा है। इनपुट्स के आधार पर सरकार प्रभावित क्षेत्रों को राहत देने के लिए कई घोषणाओं की एक सीरिज ला सकता है।