कूनो नेशनल पार्क पहुंचे मोदी और चीते, थोड़ी देर में नामीबिया से आए आठ चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे पीएम

Date:

अफ्रीका के नामीबिया से आठ चीते मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंच गए हैं। इन्हें सेना के हेलिकॉप्टर में शिफ्ट किया जा रहा है। थोड़ी देर में यह विमान कूनो नेशनल पार्क के लिए रवाना होगा।

श्योपुर. देश में करीब 70 साल बाद चीतों की वापसी होने वाली है। नामीबिया से आठ चीतों को लेकर विशेष विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचा। यहां से चीतों को सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए मध्य प्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क पहुंच गए हैं। अपने जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें पार्क में बने विशेष बाड़े में छोड़ेंगे। यहां पढ़ें इससे जुड़े सभी अपडेट्स-

कोरिया रिसासत के महाराज ने किया था आखिरी चीते का शिकार

1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते को मार दिया गया था। महाराजा रामानुज प्रताप ने गांव वालों की गुहार पर तीन चीतों को मार दिया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। जानकारी के अनुसार महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव शिकार के बेहद शौकीन थे।

प्रधानमंत्री कूनो नेशनल पार्क पहुंचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क पहुंच गए हैं। थोड़ी देर में पीएम इन्हें विशेष बाड़े में लीवर खींचकर छोड़ेंगे।

कूनो नेशनल पार्क पहुंचे चीते
ग्वालियर एयरपोर्च से सेना के चिनूक हेलिकॉप्टर से रवाना हुए आठ चीते श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क पहुंचे गए हैं। पीएम मोदी भी ग्वालियर पहुंच गए हैं। वे थोड़ी देर में इन्हें विशेष बाड़े में छोड़ेंगे।

चीतों के शिकार की स्पेशल व्यवस्था
वन विभाग ने चीतों के शिकार की स्पेशल व्यवस्था की है। इनके बाड़े में चीतल हिरण, चार सींग वाला मृग, सांभर और नीलगाय के बच्चे को छोड़ा गया है। वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘चीता दो से तीन दिन में एक बार खाता है। इसलिए कुनो पहुंचने के बाद वे शनिवार या रविवार को शिकार कर सकते हैं।’

नाइट विजन होता है कमजोर
चीते दिन में शिकार करते हैं क्योंकि इनका नाइट विजन कमजोर होता है। एक चीते का वजन 36 से 65 किलो का होता है। आमतौर पर एक चीते के तीन से पांच शावक होते हैं।

ग्वालियर पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। एयरपोर्ट पर मौजूद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पीएम का स्वागत किया। मौदी यहां पांच मिनट रुककर सेना के हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क के लिए रवाना होंगे।

आठ महीने के होते ही करने लगते हैं शिकार
चीते के शावक तीन हफ्ते में ही मीट खाने लगते हैं। आठ महीने का होते ही चीता खुद अपना शिकार करते हैं। शिकार के समय छुपने के लिए यह अपने शरीर पर बने स्पॉट का सहारा लेते हैं।

ज्योतिरादित्य ने शेयर की तस्वीरें
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चीतों के ग्वालियर लैंड होने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की। उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘आखिरकार, मध्य प्रदेश में चीते का आगमन! स्वागत!!’

कूनो नेशनल पार्क का चुनाव क्यों
चीतों के लिए मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया है। इसका सबसे बड़ा कारण पार्क के आसपास किसी बस्ती का नहीं होना है। इसके अलावा यह वन क्षेत्र छत्तीसगढ़ के कोरिया के साल जंगलों के बहुत करीब है। इन्हीं जंगलों में आखिरी बार एशियाई मूल के चीते को देखा गया था।

मध्य प्रदेश में तेज रफ्तार चीतों की वापसी
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने चीतों को लाने के लिए सरकार की तारीफ की है। संस्थान ने ट्वीट कर कहा, ‘दुनिया की सबसे ज्यादा पहचानी जाने वाली बिल्लियों में से एक चीता को अपनी तेज गति के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश में सबसे तेज दौड़ने वाले मैमल की की वापसी हुई है। हम सभी को भारत सरकार के इस कोशिश पर गर्व करना चाहिए।’

एमपी के लिए रवाना हुए पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के लिए रवाना हो गए हैं। वे राज्य के दो बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वे सुबह कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से भारत पहुंचे आठ चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे। इसके बाद श्योपुर में स्वयं सहायता समूहों के एक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे।

120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार
चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है। एक सेकेंड में चीता चार छलांग लगाता है। ये दहाड़ते नहीं बल्कि बिल्लियों की तरह गुर्राते हैं। दो किलोमीटर दूर की आवाज को भी साफ सुन सकता है।

सेना का विमान ग्वालियर से हुआ रवाना
सेना का भारी भरकम चिनूक हेलिकॉप्टर चीतों को लेकर रवाना हो गया है। विमान थोड़ी देर में श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क पहुंच जाएगा। इन्हें पीएम मोदी बाड़े में छोड़ेंगे।

चीतों को भूखा लाया गया
चीतों के साथ भारत आए वन्यजीव विशेषज्ञ एड्रियन टॉर्डिफ ने बताया कि चीतों को गुरुवार को खाना खिलाया गया था। रास्ते में उन्हें कुछ नहीं खिलाया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

माधव विश्वविद्यालय में छठा दीक्षांत समारोह: विद्यार्थियों को मिलेगी उपाधि

आबूरोड. माधव विश्वविद्यालय में 9 अक्टूबर को भव्य छठे...

यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, जयपुर में HR कांग्रेस 2024 का हुआ सफल आयोजन

जयपुर. यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, जयपुर (UEM) ने...