Lok Sabha Elections 2024: सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर चुनाव आयोग (Election Commision) को नोटिस जारी किया है। याचिका में आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि यदि NOTA (None Of The Above) को किसी कैंडिडेट से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। साथ ही NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को अगले 5 साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से BAN कर दिया जाए।
नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर भारतीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका शिव खेड़ा ने लगाई, इसमें आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि यदि NOTA (None Of The Above) को किसी कैंडिडेट से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया जाए, साथ ही नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। याचिका में यह नियम बनाने की भी मांग की गई है कि NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से BAN कर दिया जाए। साथ ही NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए। याचिका सूरत में 22 अप्रैल को BJP कैंडिडेट मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत के संदर्भ में दायर की गई है। बता दें कि यहां से कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। दरअसल, उनके पर्चे में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर में गड़बड़ी थी। इस सीट पर BJP और कांग्रेस समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे। साथ ही 21 अप्रैल को 7 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने अपना नामांकन वापस ले लिया। वहीं सोमवार 22 अप्रैल को BSP कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ने भी पर्चा वापस ले लिया। इस तरह मुकेश दलाल निर्विरोध चुन लिए गए।
क्या है नन ऑफ द अबव (NOTA)
नन ऑफ द अबव यानी नोटा (NOTA) एक वोटिंग ऑप्शन है। इसे वोटिंग सिस्टम में सभी उम्मीदवारों पर अस्वीकृति दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत में नोटा को पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पेश किया गया था। बता दें कि भारत में NOTA राइट टू रिजेक्ट के लिए नहीं दिया गया है, क्योंकि सबसे ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार ही चुनाव जीत जाता है, चाहे नोटा वोटों की संख्या कितनी भी हो।
NOTA का ये है मौजूदा पैटर्न
देश में होने वाले तीनों लेयर के चुनावों में NOTA वोटिंग के आंकड़े अभी भी कम हैं। 2013 में चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में NOTA ने कुल मतदान का 1.85% हिस्सा बनाया। 2014 में आठ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में यह घटकर 0.95% रह गया। 2015 में दिल्ली और बिहार में हुए विधानसभा चुनावों में यह बढ़कर 2.02 फीसदी हो गया। दिल्ली में मात्र 0.40 फीसदी मतदान हुआ, जबकि बिहार में 2.49% वोट NOTA को पड़े। ये विधानसभा चुनावों में किसी भी राज्य में अब तक डाले गए सबसे ज्यादा नोटा वोट हैं। 2013 से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में 261 विधानसभा क्षेत्रों और 24 निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए नोटा वोटों की संख्या जीत के अंतर से ज्यादा थी।