चिकित्सा के जगत में भारत की नई तकनीक, चलता फिरता अस्पताल जो पानी, हवा व सड़क पर भी देगा आईसीयू वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं
नई दिल्ली । चिकित्सा जगत में भारत आपात चिकित्सा को लेकर नई तकनीक पर काम कर रहा है जो एशिया में भारत ऐसा पहला देश होगा जो इस तरह की आधुनिक तकनीक को चिकित्सा के क्षेत्र फलीभूत कर रहा है । इस नई तकनीक के जरिए हवा, पानी या फिर सड़क कहीं भी और कभी भी जरूरत पड़ने पर 24 घंटे के अंदर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया हो जाएंगी। यह एक कंटेनर अस्पताल होगा जिसमें जांच से लेकर उपचार, आईसीयू से लेकर वेंटिलेटर तक की सेवा उपलब्ध होगी। इसका इस्तेमाल समुद्री तूफान, संक्रामक बीमारी, भूकंप आदि जैसी आपात स्थिति में किया जा सकेगा।
गौर करने वाली बात है कि कंटेनर को हेलीकॉप्टर, रेल या फिर जहाज के जरिए कहीं भी पहुंचाया जा सकेगा। करीब 36 मीटर लंबे और 32 मीटर चौड़े इस कंटेनर में ब्लड और रेडियो डायग्नोस्टिक सुविधा होगी। सामान्य, आईसीयू और वेंटिलेटर बिस्तरों के अलावा आइसोलेशन वार्ड भी बनाया जाएगा। इनके अलावा कंटेनर में ही डॉक्टर और नर्स का केबिन होगा।
कई कंटेनर को मिलाकर बन रहा अस्पताल…
कंटेनर अस्पताल के बारे में विस्तार से समझाते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि कई कंटेनर को एक जगह पर तैयार किया जा रहा है। एक में जांच की सुविधा, कुछ में बिस्तर, कुछ में अन्य उपकरण होंगे। कुछ कंटेनर ऐसे होंगे जिन्हें मौके पर ले जाकर असेंबल करके अस्पताल बना दिया जाएगा। अभी 100-100 बेड के यह अस्पताल बनाए जा रहे हैं चूंकि एक कंटेनर में इतने ज्यादा बेड नहीं आ सकते, इसलिए इन सभी कंटेनर को एक जगह पर तैयार रखा जाएगा।
छोटे कंटेनर भी हैं शामिल…
छोटे-बड़े सभी तरह के कंटेनर पर काम किया जा रहा है। छह मीटर के आकार वाले कंटेनर भी हैं जिनमें छोटे-छोटे उपकरणों को रखा जा रहा है। कुछ का आकार 20 फुट तक चौड़ा है।
डॉक्टरों के लिए सुरक्षित, मरीज भी दिखेगा दूर से…
कंटेनर को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि यह डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित रहे और मरीज को भी कंटेनर के बाहर दूर से देखा जा सके।
तकनीक-चिकित्सा ने मिलकर बनाई योजना…
कंटेनर अस्पताल की योजना के लिए तकनीक और चिकित्सा दोनों क्षेत्रों की मदद ली गई है। आईआईटी और दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों ने मिलकर इस मॉडल पर काम किया है।
रेल की तरह कंटेनर को जोड़ सकेंगे…
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जिस तरह रेल के डिब्बों को जोड़ा जाता है, उसी तरह कई कंटेनर को आपस में जोड़ते हुए पूरा अस्पताल बनाया जा सकता है। महज चार सप्ताह में यह पूरा अस्पताल बन जाएगा और इसका मॉडल कोई भी हासिल कर सकता है।