भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति वैश्विक मंच पर देश की उच्च शिक्षा को करेगी सशक्त : कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी


विख्यात इलेट्स टेक्नोमीडिया समूह दुवारा उच्च शिक्षा की चुनौतियों जुड़े मुद्दों पर आयोजित उच्च शिक्षा के “20वें विश्व शिखर सम्मेलन” में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने लिया हिस्सा

बीकानेर। भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को शिक्षा के वैश्विक केंद्र के तौर पर स्थापित करेगी, इस नई नीति से दुनिया के शीर्ष स्तर पर भारत की उच्च एवं तकनीकी शिक्षा व्यवस्था को एक नई दशा और दिशा मिलेगी ।भारत के जाने-माने और प्रतिष्ठीत इलेट्स टेक्नोमीडिया समूह दुवारा आयोजित उच्च शिक्षा पर आयोजित “विश्व शिखर सम्मेलन” में बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने “उच्च शिक्षा नीति की की चुनौतियां और राष्ट्रीय शिक्षा नीति” पर अपने उदगार प्रकट किये व अपना संबोधन प्रदान किया । विस्तृत जानकारी देते हुए बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया की हाल ही में देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर मंथन करने हेतु आयोजित वैश्विक सम्मलेन में प्रो. विद्यार्थी ने बतौर मुख्य वक्ता भाग लिया। उच्च शिक्षा के इस “20वें विश्व शिखर सम्मेलन” में देश की विभिन्न प्रदेशो के कुलपतियों, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव-निदेशक, व वरिष्ठ शिक्षाविदो सहित उच्च शिक्षा से जुड़े वैश्विक हितधारको ने भाग लिया ।

इस अवसर पर प्रो. विद्यार्थी ने कहा की भारत का उच्च शिक्षा तंत्र अमेरिका, चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उच्च शिक्षा तंत्र है। विगत कई वर्षों में देश में सभी को उच्च शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने की नीति के अंतर्गत संपूर्ण देश में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और साथ ही उच्च शिक्षा की अवस्थापना सुविधाओं पर विनियोग भी तदनुरुप बढ़ा है। निम्न सकल नामांकन दर, खराब अवसंरचना और सुविधाएँ, अपर्याप्त अनुसंधान, कमज़ोर प्रशासनिक संरचना, गुणवत्ता की समस्या, उच्च मानदंडो वाले निजी शैक्षणिक संस्थाओ के कमी जैसे कई चुनौतियों का सामना हम आज भी कर रहे हैं। आज की उच्च शिक्षा की चुनौतियां का सामना करते हुए इसमें बुनियादी बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि इस शिक्षा का सही उपयोग हम अपने आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में प्रभावी ढंग से कर सकें। वर्तमान समय में उच्च शिक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले तेज़ी से विकसित होते तकनीकी परिवर्तनों की आवश्यकता को पूरा करना तथा आवश्यक कौशल वाले कार्यबल का निर्माण है। सुधार के फलस्वरूप एक ऐसी संस्था का निर्माण होना चाहिये जिसके पास विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के अनुकूल बौद्धिक कोष के साथ-साथ गतिविधि के उभरते क्षेत्रों में सार्वजनिक वित्तपोषण के लिये योजना बनाने का दृष्टिकोण हो। किन्तु उच्च शिक्षा की राह में अब भी अनेक बाधाएँ हैं और गुणवत्तापरक शिक्षा अभी भी दिवास्वप्न बनी हुई है।

किसी भी देश की शिक्षा व्यवस्था कितनी उन्नत है, इस तथ्य का मूल्यांकन तीन मापदंडों के आधार पर किया जाता है । पहला मापदंड है, उच्च शिक्षा तक कितने युवाओं की पहुँच है; दूसरा मापदंड है, क्या उच्च शिक्षा न्याय-संगत है? और तीसरा है, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है? इन तीनों ही मापदंडों पर हमें खरा उतरने के लिए हमारे समक्ष अनेको चुनौतियां हैं। समय-समय परहमारे शिक्षा विशेषज्ञों ने भारत में उच्च शिक्षा को पटरी पर लाने के लिये वृह्तम कार्ययोजनाओं पर कार्य किया हैं। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को न्यायसम्मत और जागरूक समाज बनाने का प्रयास करती है। यह ऐसी भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना करती है जो भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने में सीधे योगदान देगी। एनईपी के जरिए प्रचलित शिक्षा व्यवस्था में किया गया व्यापक परिवर्तन देश की शिक्षा प्रणाली में आदर्श बदलाव लाएगा और देशआत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में सक्षम और सुदृढ़ शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा। यह नीति सिर्फ हमारे देश की ही नहीं अपितु वैश्विक नीति है जो अन्तराष्ट्रीय मंच पर हमारी आधुनिकतम और विकसीत शिक्षा व्यवस्था का सफल सृजन करेगी एवं नवीन शिक्षा नीति देश के हर गाँव-गाँव और ढाणी तक शिक्षा का विकास करेगी । इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण, सस्ती व समावेशी शिक्षा प्रदान करते हुए शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करना है जिससे छात्रों को देश में ही विश्वस्तरीय गुणवत्तापरक शिक्षा हासिल हो सकेगी. देश में शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की अहम भूमिका होगी, नई शिक्षा नीति में शिक्षक, छात्रों और अभिभावकों का जुड़ाव होना चाहिए ।

नई शिक्षा नीति में हर छात्र को सशक्त करने का रास्ता दिखाया गया है, साथ ही ये युवाओं को ज्ञान और कौशल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी जो की 21वीं सदी में भारत को नोलेज सेंटर के रूप में विकसीत करेगी । राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन करना सभी का सामूहिक दायित्व है । इसका उद्देश्‍य गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षण, शोध और भारतीय मूल्‍य व्‍यवस्‍था पर आधारित नवाचारों के माध्‍यम से वैश्विक मंच पर महत्‍वपूर्ण स्थान हासिल करने का प्रयास करना हैं । ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ शिक्षा को पूरी तरह सही ढंग से ‘सामाजिक न्याय व गुणवत्ता’ हासिल करने के एक महानतम औज़ार के तौर पर देखती है। इस नीति में किये गये व्यापक बदलावों से देश की उच्च एवं तकनीकी शिक्षा व्यस्था में आदर्श बदलाव आएगा और हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सक्षम एवं सुदृढ शैक्षिक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करेगा

हमारे देश के निति निर्माताओ के अनुसार इसका उद्देश्य 21वीसदी की जरुरतो के अनुकूल शिक्षा व्यवस्था और अधिक लचीला, समग्र बनाते हुए भारत को ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान को वैश्विक बदलना तथा प्रत्येक विद्याथी में निहित अदितीय प्रतिभाओ को सामने लाना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को एक न्यायसंगत और जीवंत ज्ञान समाज बनाने के लिए प्रयासरत है । यह एक भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली को लागू करता है जो भारत को वैश्विक महाशक्ति में बदलने में सीधे योगदान देता है। उन्होंने कहा कहा की “शिक्षा और अनुसंधान दुनिया के महत्वपूर्ण साधन हैं। भारत की शिक्षा प्रणाली का लंबा और शानदार इतिहास रहा है। पिछले सात दशकों से भारत ने शिक्षा का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया है। अब हाल ही में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ पाठ्यक्रम और मूल्यांकन में सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह शिक्षा प्रणाली रट्टा मार संस्कृति से दूर वास्तविक समझ की ओर ले जाने का वादा करती है। सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थान ज्ञान के सृजन और प्रसार के महत्वपूर्ण मंच हैं और इसलिए एनईपी 2020 के सिद्धांतों को प्रभावकारी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । भारत में समग्र शिक्षा की समृद्ध विरासत है, यह निति देश के युवाओं और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े हितधारको के लिए पथ प्रवर्तक साबित होगी और लाखों छात्रों की जीवन के सभी क्षेत्रों में बढ़ने और उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करेंगे ।

यह भारत के युवाओं को भ्रम से निकालेगी और उन्हें रोजगारोन्मुखी बनाएगी । यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को वैश्विक शक्तिशाली बनाने के साथ-साथ मानव की पूर्ण क्षमताओं को प्रकट करने का माध्यम बने । इसके द्वारा सामाजिक और न्याय की समानता होगी तथा राष्ट्र का सर्वांगिण विकास होगा । यह भारत को दुनिया के बेहतरीन देशों की सूची में खड़ा करेगी यह ‘नई शिक्षा नीति’ उच्च शिक्षा से जुड़े हम सभी हितधारक स्वतंत्र भारत के बाद ‘भारतीय शिक्षा नीति’ का सहृदय स्वागत करते हैं । नई शिक्षा नीति मे भारतीय मूल ज्ञान को प्राथमिकता सराहनीय है। ऐसी नीतियां छात्रों को और सशक्त करने में योगदान देंगी । भारत का प्रबुद्ध नागरिक, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में बड़े परिवर्तनों की अपेक्षा लंबे समय से कर ही रहा था। नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।

आज हमें नई शिक्षा नीति को अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़रुरत है और हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था का वैश्विक मानको पर आंकलन करना आवश्यक है । निसंदेह यह निति “परम्परागत शिक्षा व्यस्था” के स्थान पर “आधुनिकतम शिक्षा व्यस्था” का स्थान लेगी, मै आशा करता हूँ की हमारे भारत देश का हर युवा इस नवीनतम शिक्षा व्यवस्था को अंगीकार कर देश और विश्व के समक्ष एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करे, ताकि इस आदर्श नीति की वैश्विक मंच पर रचना साकार हो सके । हमारे देश के विद्यार्थी और उनका कौशल अपार संभावनाओ से भरा हुआ है जिसे देश के समक्ष लाना आवश्यक है । बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति होने के नाते मैं विख्यात शिक्षाविदो दुवारा रचित देश की उच्च शिक्षा के नए प्रारूप नवीन शिक्षा नीति का स्वागत करता हूँ मुझे विश्वास है की उनके अथक प्रयासो से शीघ्र ही हमारा भारत देश आने वाले समय में विश्व की विकसित शिक्षा व्यवस्था की अग्रणी पंक्ती में शामिल होगा । उन्होंने इलेट्स टेक्नोमीडिया समूह दुवारा उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर आयोजित उच्च शिक्षा के “20वें विश्व शिखर सम्मेलन” वक्ता के रूप में आमंत्रित करने के लिए आयोजन समिति का आभार प्रकट किया ।


Jagruk Janta

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