- पक्षकार मोहनलाल नामा की याचिका खारिज करवाने की अर्जी पर हाईकोर्ट में सुनवाई
- पक्षकार का तर्क, दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौता हो चुका, सदन में बहुमत साबित हो चुका, इसलिए अब मामला खत्म किया जाए
- पायलट गुट के वकील की दलीलों पर रहेगी निगाह
जयपुर। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट की बगावत के बाद 19 विधायकों को विधानसभा स्पीकर के नोटिस विवाद मामले के निस्तारण को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। मामले के पक्षकार मोहनलाल नामा की लंबित याचिका खारिज करने की अर्जी पर आज सुनवाई है।
पक्षकार मोहनलाल नामा ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर कहा था कि दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौता हो गया है और प्रार्थी भी विधानसभा में विश्वास मत के समर्थन में अपना वोट दे चुके हैं। उनकी विधानसभा और कांग्रेस में सदस्यता बरकरार रखने की प्रार्थना भी एक तरह से मंजूर हो चुकी है, इसलिए पहले दायर याचिका को खारिज किया जाए।
हाईकोर्ट मेें लंबित चल रही पक्षकार मोहनलाल नामा की याचिका को खारिज करने की अर्जी पर जल्द फैसला आने की संभावना है। आज की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, इस मामले में सचिन पायलट गुट के वकील की दलीलों पर भी सबकी निगाहें रहेंगी।
पायलट गुट की बगावत पर 19 विधायकों को स्पीकर ने जारी किए थे नोटिस
सचिन पायलट गुट के 19 विधायकों की बगावत के बाद विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने सभी को नोटिस जारी कर उनका पक्ष स्पष्ट करने को कहा था। स्पीकर के नोटिस को पायलट गुट ने चनौती दी थी, बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया।
सचिन पायलट गुट और स्पीकर दोनों पक्षों की तरफ से नामी वकीलों ने केस में पैरवी की। इस बीच हाईकोर्ट में चल रहे मामले में मोहनलाल नामा ने पक्षकार बनने की अर्जी दी थी जिसे मंजूर कर लिया गया। हाईकोर्ट में मामला चल ही रहा था कि इसी बीच 11 अगस्त को पायलट गुट के साथ समझौता हो गया, सभी 19 विधायक वापस सरकार के साथ आ गए। 14 अगस्त को गहलोत सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया।
लेकिन हाईकोर्ट में दायर केस खत्म नहीं
सचिन पायलट गुट के साथ समझौता हो गया, लेकिन बगावत के वक्त दायर मामले हाईकोर्ट में जारी है। अब राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं इसलिए पक्षकार मोहनालाल नामा ने याचिका वापस लेने की गुहार की।
19 बागी विधायकों को स्पीकर के नोटिस और उसे कोर्ट में चुनौती देने पर खूब हुई बहस
सचिन पायलट गुट के 19 विधायकों को बाड़ेबंदी में जाने के बाद विधानसभा स्पीकर के नोटिस और फिर उसे कोर्ट में चुनौती देने को लेकर खूब विवाद हुआ। स्पीकर सीपी जोशी ने नोटिस को कोर्ट में चुनोती देने को स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल करार दिया था। यह मामला पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भी छाया रहा था। दलदबल कानून और 10 वीं अनुसूची के प्रावधान अब भी बहस का मुद्दा है।