पुरी ने कहा, “इसलिए, मुझे लगता है कि वैश्विक ऊर्जा की स्थिति में सुधार होगा। बाजार में अधिक तेल और गैसा आएगी और उम्मीद है कि इससे कीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी। जब ऊर्जा कम कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है, तो इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।”

Good News: लंबे समय से आम लोग पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमत कम होने का इंतजर कर रहे हैं। अब उन सभी के लिए अच्छी खबर है। आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम कम हो सकते हैं। दरअसल, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अमेरिका सहित ग्लोबल मार्केट में तेल का प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी के कारण ईंधन की कीमतों में कमी आने की संभावना है, जिससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, “अमेरिका में, उन्होंने (ट्रंप ने) कहा, “ड्रिल, बेबी, ड्रिल।” जो अधिक ड्रिलिंग करने और अधिक तेल निकालने का संकेत है। उन्होंने आधिकारिक रूप से कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों को कम करना चाहते हैं।”
इसलिए कीमतें कम होंगी
पुरी ने कहा, “इसलिए, मुझे लगता है कि वैश्विक ऊर्जा की स्थिति में सुधार होगा। बाजार में अधिक तेल और गैसा आएगी और उम्मीद है कि इससे कीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी। जब ऊर्जा कम कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है, तो इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का प्राथमिक उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ‘कम कीमतों पर’ पर्याप्त तेल खरीदना है।
डॉलर में ही होगा ट्रेड
उन्होंने यह भी कहा कि तेल खरीद में डॉलर के इस्तेमाल को खत्म करने का कभी भी उद्देश्य नहीं था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘अधिकांश लेनदेन डॉलर में होते हैं और हमेशा से होते आए हैं।’ उन्होंने विश्वास जताया कि भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले नए प्रशासन के साथ संपर्क स्थापित कर लिया है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के मोर्चे पर भारत-अमेरिका संबंध और मजबूत होंगे। उनके अनुसार, भारत अर्जेंटीना सहित 40 देशों से तेल आयात करता है और चूंकि दुनिया में पर्याप्त तेल है, इसलिए तेल उत्पादक देश जो कटौती कर रहे हैं, उन्हें भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।