कोवैक्सिन के बारे में ICMR ने राहत पहुंचाने वाली खबर दी है तो अब कोरोना का नया वैरिएंट परेशानी बन गया है।
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मंगलवार को अच्छी खबर दी है। ICMR ने कहा कि कोवैक्सिन डबल म्यूटेंट कोरोना वैरिएंट को भी खत्म कर देती है। अपनी स्टडी के आधार पर इंस्टिट्यूट ने कहा कि ब्राजील वैरियंट, यूके वैरिएंट और साउथ अफ्रीकन वैरिएंट पर भी ये वैक्सीन असरदार है और उन्हें भी ये समाप्त कर देती है।
महाराष्ट्र- दिल्ली में ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट बना परेशानी
कोवैक्सिन के बारे में ICMR ने राहत पहुंचाने वाली खबर दी है तो अब कोरोना का नया वैरिएंट परेशानी बन गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, देश में अब कोरोना का ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट फैल रहा है। कोरोना के तीन अलग-अलग स्ट्रेन से ये नया वैरिएंट बना है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली, बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लोग इसी वैरिएंट का शिकार हो रहे हैं।
ट्रायल के नतीजे काफी बेहतर आए थे
स्वदेशी कोवैक्सिन के ट्रायल का नतीजा काफी बेहतर निकला है। फेज-3 के क्लीनिकल ट्रायल्स के आखिरी नतीजे के अनुसार यह वैक्सीन 81% तक असरदार साबित हुई है। सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। सरकार का यह फैसला विशेषज्ञों के निशाने पर था क्योंकि वे फेज-3 के नतीजे देखे बिना इमरजेंसी अप्रूवल के खिलाफ थे।
हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर यह वैक्सीन डेवलप की है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों ने हाल ही में कोवैक्सिन के ही डोज लिए हैं। ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि 8 महीने से भी कम समय में प्रभावी कोरोना वैक्सीन-कोवैक्सिन विकसित की है और यह आत्मनिर्भर भारत की सही तस्वीर पेश करती है।
कोरोना के सभी वैरिएंट्स के खिलाफ कोवैक्सिन कारगर
भारत बायोटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल्स के तीनों फेज में 27 हजार वॉलंटियर्स पर वैक्सीन का प्रयोग किया है। फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स के नतीजों के साथ यह साबित हो गया है कि कोवैक्सिन कोरोनावायरस के खिलाफ असरदार है। यह वैक्सीन तेजी से सामने आ रहे कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट्स के खिलाफ भी कारगर है।
कोवैक्सिन का वेस्टेज भी कम
कोवैक्सिन या BBV152 एक व्होल वायरॉन इनएक्टिवेटेड SARS-CoV-2 वैक्सीन है। इसे वेरो सेल्स से बनाया गया है। यह 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टेबल रहती है और रेडी-टू-यूज लिक्विड फॉर्मेशन में ट्रांसपोर्ट की जा रही है। मौजूदा वैक्सीन सप्लाई चेन चैनल्स के लिए यह उपयुक्त है। BBV152 के साथ 28 दिन की ओपन वायल पॉलिसी भी है, जो वैक्सीन के वेस्टेज को 10-30% तक कम करती है।
नेजल वैक्सीन भी तैयार कर रहा है भारत बायोटेक
भारत में कोवैक्सिन बना रही भारत बायोटेक ने अपनी नेजल वैक्सीन कोरोफ्लू के ट्रायल्स जनवरी में शुरू किए थे। भारत बायोटेक के फाउंडर डॉ. कृष्णा एल्ला के मुताबिक, नेजल वैक्सीन को एक ही बार देना होगा। अब तक हुई रिसर्च में यह बेहतर विकल्प साबित हुई है। इसके लिए कंपनी ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ करार किया है। क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के मुताबिक चार शहरों में 175 लोगों को यह नेजल वैक्सीन दी गई है। कुछ ही दिनों में इसके फेज-1 ट्रायल्स के नतीजे सामने आने की उम्मीद है। अच्छी बात यह है कि यह नाक में स्प्रे के जरिए दी जाएगी और वायरस के एंट्री पॉइंट्स को ही ब्लॉक कर देगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि नाक के जरिए कोरोना शरीर में एंट्री करता है और हालत बिगाड़ता है, इसलिए नेजल स्प्रे असरदार साबित हो सकती है।