विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाना केवल तभी सार्थक हो सकता है जब एक जागरूक समाज के रूप में हम सब एक साथ मिल कर इस बुराई के विरुद्ध सामूहिक प्रयास करें

नालसा (नशा पीड़ितों को विधिक सेवाऐं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या वैश्विक स्तर पर भयानक रूप से फैल चुकी है।
इस वर्ष के विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस यह एक कटु वास्तविकता है कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ित व्यक्ति को पारिवारिक व सामाजिक अलगाव और लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।
इससे निश्चित रूप से उन्हें बहुत मानसिक और शारीरिक कष्ट और आघात पहुंचता है।
वे आवश्यक मदद से भी वंचित रह जाते है इससे उनका और उनके परिवारों का जीवन दयनीय और कठिन बन जाता है इसलिए नशीली दवाओं से छुटकारा पाने की नीतियों के लिए एक जन-केंद्रित सोच की आवश्यकता है जो मानव अधिकारों और करुणा पर लक्षित हों।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ितों की सामाजिक और भावनात्मक उपचार के साथ मदद करना और साथ ही नशीली दवाओं और अवैध तस्करी के बढ़ते जाल के बारे में प्रभावी कदम उठाना एक बड़ा और मुश्किल कार्य है।
अपने देश को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त कराने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों और एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

विश्व ड्रग दिवस मादक पदार्थों का विनम्र शिक्षा प्रति जागरूकता उपयोग करने वाले लोगों और उनके परिवारों पर लगने वाले कलंक और भेदभाव के नकारात्मक प्रभाव केये बारे में जागरूकता बढ़ाने और ड्रग्स का उपयोग करने वाले लोगों में एड्स और हेपेटाइटिस महामारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इन रोगों के रोकथाम कार्यक्रमों का विस्तार करने और उन्हें मजबूत करने पर केंद्रित है।
इनमें ड्रग्स का उपयोग करने वाले सभी लोगों के लिए साक्ष्य-आधारित, स्वैच्छिक सेवाओं को बढ़ावा देना नशीली दवाओं के उपयोग के विकारों उपलब्ध उपचारों और शीघ्र हस्तक्षेप और सहायता के महत्व के बारे में शिक्षित करना नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों जैसे समुदाय-आधारित उपचार और सेवाओं के लिए कारावास के विकल्पों की समर्थन भाषा और व्यवहार को बढ़ावा देकर नशे से जुड़े कलंक और भेदभाव का मुकाबला करना शामिल है।

एक बार वैश्विक स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग की भयावहता पर एक नजर डालें नवयुवकों, किशोरों एवं बालको में ड्रग तस्करी एवं दुरूपयोग की असाधारण बढोतरी गंभीर व जटिल निहितार्थ सूचित करती है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करती है। इसकी रोकथाम राज्य के साथ साथ समाज की सर्वोत्तम प्राथमिकता है।
यह एक खुला राज है की ड्रग नशा ने निर्दोष बच्चों,नव बालकों,नव युवकों एवं महिलाओं के ऊपर अपना भयानक शिकंजा कस लिया है। इसका खतरनाक फैलाव इससे प्रतीत होता है की नशे की शुरुआत 9-10 वर्ष की किशोर आयु से हो जाती है।
आधुनिक प्रयोगात्मक अध्ययन से ज्ञात हुआ है की भारत में करोड़ों लोग पदार्थ दुरुपयोग में लगे है जिनमे से अनेक लोग इसके आदी है के अनुसार और अधिक युवा अधिक मादक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं कई देशों में इनका उपयोग पिछली पीढ़ी की तुलना में बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 1.12 करोड़ लोग ड्रग्स के इंजेक्शन का उपयोग कर रहे है इस संख्या का लगभग आधा हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे 14 लाख एचआईवी से ग्रस्त थे और 12 लाख ऐसे हैं जो दोनों समस्याओं से पीड़ित थे।
इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नशीली दवाएं एक गंभीर समस्या है जो दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है।

2018 के दौरान एम्स नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर गाजियाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि भारत में मादक पदार्थों के उपयोग और रूझान के अनुसार 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों में शराब,
भांग,अफीम, इनहेलेंट,कोकीन, गांजा,हेरोइन और कई प्रकार के उत्तेजक (एटीएस) और मतिभ्रम दवाओं का सेवन 6.06 प्रतिशत है जबकि 18 से 75 वर्ष की आयु के 24.71 प्रतिशत वयस्क इसमे लिप्त पाए गए।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और उन्हें नशीली दवाओं के दलदल से बाहर निकालने में मदद करने की सामूहिक जिम्मेदारी हम सब की है।

यदि प्रत्येक हितधारक इस संबंध में किए जा रहे सरकारी प्रयासों में सहयोग करें तो इनसे मुकाबला करना आसान हो जाएगा।
चार हजार से अधिक युवा मंडल, नेहरू युवा केंद्र (एनवाईके) और एनएसएस स्वयंसेवक, युवा मंडल भी नशा मुक्त भारत अभियान से जुड़े हुए हैं आंगनवाड़ी केंद्रों आशा, कार्यकर्ता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पीएलवी का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग की चुनौती से निपटने और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है हालांकि, नशीली दवाओं की समस्या के हर पहलू से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों के बारे में आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए लोगों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से रोकने और उन्हें बचाने के लिए सभी हितधारकों को और अधिक प्रेरित करने की आवश्यकता है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को अवैध दवा आपूर्ति श्रृंखला, मादक द्रव्य आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए विशेष रूप से बड़े शहरों और सीमावर्ती क्षेत्रों में मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में एक प्रभावी निगरानी बढ़ाने के लिए पुलिस बलों सहित केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता महत्वपूर्ण है।
अक्सर हम संपन्न, संभ्रांत और मध्यम वर्ग के परिवारों के बच्चों को पब में प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन करते हुए पकड़े जाने के बारे में पढ़ते और सुनते हैं इसके लिए लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सख्त किया जाना चाहिए और ऐसी संस्थाओं का लाइसेंस रद्द करने में तेजी लाई जानी चाहिए। साथ ही नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे की जांच में समाज के लिए समाज को इस प्रकार के मादक पदार्थों और आपूर्तिकर्ताओं का बहिष्कार करना चाहिए।


एक सामाजिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जहां नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार लोगों का उचित पुनर्वास किया जाना चाहिए और नशीली दवाओं की आपूर्ति करने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए।
माता-पिता को भी सलाह दी जानी चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करें और उन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से दूर रखें।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ हमारी लड़ाई में मजबूत पारिवारिक मूल्य हमारे लिए शक्तिशाली अस्त्र होंगे।
हमें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और उनके नतीजों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए व्यापक डिजिटल सामग्री अपनानी चाहिए हम पाठ्य पुस्तकों और फिल्मों में संबंधित अध्यायों के साथ-साथ जनता को नशीली दवाओं के जाल में पड़ने के विरुद्ध जागरूक कर सकते हैं।
नशीली दवाओं के दुरुपयोग की जांच करने की ही नहीं बल्कि इसके पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाने की सोच आवश्यक है उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करने के बजाय हमें उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए ताकि वे अपनी गलतियों का एहसास कर सकें और सामान्य जीवन में लौट सकें।
इस अवसर पर आगे बढ़ने और स्वस्थ, समृद्ध और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे को समाप्त करने का सही समय है ।

विश्व मादक पदार्थ निषेध दिवस मनाना केवल तभी सार्थक हो सकता है जब एक जागरूक समाज के रूप में हम सब एक साथ मिल कर इस बुराई के विरुद्ध सामूहिक प्रयास करें।
सामाजिक संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं व पंचायती राज तथा स्थानीय निकायों के सहयोग से नशे पर काबू पाया जा सकता है।
नशे से जुड़े किसी भी पदार्थ का उपयोग शौक के रूप में भी नही करना चाहिए।
हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना चाहिए।
अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमे हर प्रकार के नशे को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।
नशा मुक्ति के लिए सबसे जरुरी यह है कि हम स्वयं इसके प्रति जागरूक बनें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने तथा अपने समाज के सभी लोगो को इस समस्या से मुक्त कराएं ।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा मार्च 1961 में नशीले ड्रग्स पर एकल संधि द्वारा नशीले ड्रग्स एवं तस्करी के खतरे के उन्मूलन का प्रयास आरम्भ हुआ था एवं तत्पश्चात इस संधि के प्रस्ताव को संशोधित करने हेतु मार्च 1972 में एक विज्ञप्ति अपनाई गयी थी। वर्ष 1971 में मनः प्रभावी पदार्थों की संयुक्त राष्ट्र संधि हुई थी एवं उसके पश्चात वर्ष 1988 में नशीले ड्रग्स एवं मनः प्रभावी पदार्थों की अवैध तस्करी के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संधि हुई भारत ऐसी समस्त संधियों का हस्ताक्षरी है।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 47 यह आदेश देता है कि राज्य स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाले नशीले मदिरा एवं ड्रग्स के उपयोग को सिवाय उन ड्रग्स के जो दवाओं के औषधिय प्रयोजनों हेतु प्रयुक्त होते है निषेध करने के बारे में प्रयास करेगा।

अवैध ड्रग तस्करी एवं ड्रग दुरूपयोग के राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते हुए रुझान ने व्यापक विधानों को पारित करने के लिए प्रेरित किया है: (i) औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 एवं (ii) स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 नशीली दवाओं और मादक पदार्थों के निषेध,नियंत्रण, खेती विनियमन,निर्माण, बिक्री परिवहन, खपत आदि के लिए कठोर विधियों के बावजूद अवैध ड्रग व्यापार संयोजित ढंग से कई गुना बढ़ता ही जा रहा है।

इसी पृष्ठभूमि में नालसा ने अनुभव किया कि मांग एवं पूर्ति कम करने, लत छुड़ाने एवं पुनर्वास में उसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

समस्या के आयामों को समझने के उद्देश्य के लिए एवं विधिक सेवा संस्थानों की प्रभावी ढंग से समस्या का समाधान करने के लिए भूमिका परिभाषित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।

भारत में ड्रग के खतरे के निपटान एवं चुनौतियाँ समाधान व्यापक स्तर से सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार व आम जन की जागरूकता से ही सम्भव है ।

श्रेयांस बैद, पैनल सदस्य जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

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