मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं। फिर शुरू हो जाता है हर बात पर किच-किच होना। यही किच-किच आगे चलकर मतभेद से […]

प्रजातंत्र में हर आदमी को अपनी बात कहने का हक दिया गया है। मगर इसका यह अर्थ तो कतई नहीं हो सकता कि आप जिद पर ही अड़ जाओ। कुछ झुको और कुछ झुकाओ। इसके बाद अपनी बात बनाओ। यह […]

भारत सांस्कृतिक रूप से जितना समृद्ध रहा है उतना ही आर्थिक-वैदेशिक गतिविधियों में सशक्त था। हिमालय परिक्षेत्र तथा हिन्द महासागर के तटीय क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक व आर्थिक आदान-प्रदान होने से भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विस्तृत विस्तार हुआ। जिसने […]

आए दिन हम सभी को अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर खबरें पढ़ने को मिलती है कहीं डकैती , कहीं दिनदहाड़े गोली मारना ,कहीं बलात्कार , तो कहीं मासूम बच्चियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर हैवानियत की हदें पार …यह सब […]

शिव दयाल मिश्राहमारे देश में सदियों से अस्पृश्यता चली आ रही है। अब वह मिटने लगी है। हालांकि हमारे शाों में कहीं भी अस्पृश्यता का उल्लेख नहीं मिला है जहां तक मैंने हमारे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया है। भागवत […]

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