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लोकतंत्र का बदलता व्यवहार: राजेंद्र प्रताप गुप्ता

लोगों में व्यापक स्तर पर पैठ बना चुका इंटरनेट मीडिया लोकतंत्र के जांचे-परखे रूप को विरुपित कर रहा है। सैकड़ों वर्षों से एक संस्थान के...

अमीरों की फैलाई गंदगी को गरीब समेट रहे हैं!

शिव दयाल मिश्रासरकार हमेशा गरीबी मिटाने की बात करती है। अमीरी की नहीं। क्योंकि गरीबी को दया की दृष्टि से देखा जाता है। जबकि...

भारतीय संस्कृति के गीत गाते हम कर क्या रहे हैं! (4)

शिव दयाल मिश्राभारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति कहलाती है। आज उस संस्कृति का अविभाज्य कर्म मंदिर में जाकर प्रभु की पूजा-अर्चना तो आम आदमी लगभग...

जीवन मूल्यों को सारगर्भित करता जागरूक जनता

शिव दयाल मिश्राजागरूक जनता के 7वें वर्ष में प्रवेश करने पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। पाठक और अखबार का रिश्ता शब्दों में बयां...

भारतीय संस्कृति के गीत गाते हम कर क्या रहे हैं! (3)

शिव दयाल मिश्रायूं तो महिलाओं ने हमारी संस्कृति को काफी हद तक बचा रखा है। मगर वे भी अब क्यों कर भारतीय संस्कृति को...

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