Ahmedabad Plane Crash: ATC को पायलट ने कोड में कहा- Mayday! Mayday! Mayday!, क्या है इसका मतलब

Mayday की शुरुआत साल 1923 में एक अंतरराष्ट्रीय संकट कॉल के रूप में हुई थी। इसे 1948 में ऑफिशियल बना दिया गया।

अहमदाबाद में गुरुवार को हुए दर्दनाक प्लेन क्रैश से पहले एयर इंडिया फ्लाइट के उस पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी एटीसी से कोड वर्ड में कई बार कहा- Mayday! Mayday! Mayday! आखिर इस कॉल का अर्थ कितना समझते हैं आप? दरअसल, मेडे! मेडे! मेडे! यह वह कॉल है जिसे कोई भी फ्लाइट का पायलट कभी नहीं करना चाहेगा। क्योंकि इसका मतलब है मुसीबत। बहुत बड़ी मुसीबत! मेडे शब्द का इस्तेमाल दुनिया भर में रेडियो कम्यूनिकेशन के जरिये संकट कॉल करने के लिए किया जाता है। wonderopolis के मुताबिक, मेडे किसी लाइफथ्रेटेनिंग वाली इमरजेंसी का संकेत देता है। हालांकि इसका इस्तेमाल कई अन्य स्थितियों में भी किया जा सकता है।

मेडे लगातार तीन बार कहा जाता है
जानकारी के मुताबिक, प्रोसेस के मुताबिक, मेडे संकट संकेत को लगातार तीन बार कहा जाना चाहिए – मेडे! मेडे! मेडे! ताकि इसे शोरगुल वाली परिस्थितियों में समान लगने वाले किसी दूसरे शब्द या वाक्यांश से न समझा जाए। एक आम संकट कॉल मेडे से शुरू होगी जिसे तीन बार दोहराया जाता है। इसके बाद संभावित बचावकर्ताओं को जरूरी सभी जानकारी दी जाएगी, जिसमें शामिल एयरक्राफ्ट का प्रकार और पहचान, आपातकाल की प्रकृति, स्थान या अंतिम ज्ञात स्थान, वर्तमान मौसम, बचा हुआ ईंधन, किस तरह की मदद की जरूरत है और कितने लोग खतरे में हैं।

Mayday शब्द कैसे आया
Mayday की शुरुआत साल 1923 में एक अंतरराष्ट्रीय संकट कॉल के रूप में हुई थी। इसे 1948 में ऑफिशियल बना दिया गया। wonderopolis के मुताबिक, यह फ्रेडरिक मॉकफोर्ड का विचार था, जो लंदन के क्रॉयडन एयरपोर्ट पर एक वरिष्ठ रेडियो अधिकारी थे। उन्हें “मेडे” का विचार आया क्योंकि यह फ्रेंच शब्द m’aider जैसा लगता था, जिसका अर्थ है “मेरी मदद करो।”

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