“भूला हुआ अध्याय”, जूता फेंकने वाली घटना पर CJI गवई की प्रतिक्रिया, साथी जज बोले- “मजाक नहीं, SC का अपमान है”

जूता फेंकने वाली घटना को CJI बी.आर. गवई ने ‘भूला हुआ अध्याय’ बताया। वहीं, उनके साथी न्यायाधीशों ने इस कृत्य को सर्वोच्च न्यायालय का अपमान बताया।

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर सोमवार को हुई जूता फेंकने की घटना ने सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में बहस छेड़ दी। हालांकि, अब मुख्य न्यायाधीश ने इसे ‘भूला हुआ अध्याय’ बताया है। वहीं, उनके साथी न्यायाधीशों ने इस कृत्य को सर्वोच्च न्यायालय पर एक अपमान बताया है।

CJI गवई ने अपनी सुनवाई जारी रखते हुए इस घटना पर अपना रुख दोहराया। उन्होंने कहा, “मैं और मेरे विद्वान भाई (जस्टिस) सोमवार को जो हुआ उससे बहुत स्तब्ध हैं, हमारे लिए यह एक भूला हुआ अध्याय है।” मुख्य न्यायाधीश ने घटना को ज्यादा तवज्जो न देते हुए अदालती कार्यवाही को आगे बढ़ाया।

“वह CJI हैं, यह मजाक की बात नहीं”
हालांकि, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने CJI के इस रुख से असहमति जताई। जस्टिस भुइयां ने कहा, “इस पर मेरे अपने विचार हैं, वह CJI हैं, यह मजाक की बात नहीं है।” जस्टिस भुइयां ने कहा कि यह घटना सर्वोच्च न्यायालय का अपमान है।

इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस हमले को अक्षम्य बताया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर हमला अक्षम्य था। इस दौरान तुषार मेहता ने CJI की उदारता की प्रशंसा की।

CJI गवई ने अपनी सुनवाई के दौरान एक बार फिर अपने साथी न्यायाधीश की टिप्पणी पर संक्षिप्त प्रतिक्रिया दी और अपने स्टैंड को दोहराया, “हमारे लिए यह एक भूला हुआ अध्याय है।” और इसके साथ ही उन्होंने अदालत की कार्यवाही जारी रखी।

6 अक्टूबर को SC में हुई ये शर्मनाक घटना
बता दें कि 6 अक्टूबर को भारत के सुप्रीम कोर्ट में शर्मनाक घटना घटी थी, जब CJI बीआर गवई पर एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि, वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे रोक लिया और पकड़कर बाहर ले गए। बाहर जाते-जाते शख्स नारा लगा रहा था, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”

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