जयपुर/बीकानेर@जागरूक जनता। अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ स्वतंत्र ने बजट घोषणा में प्रदेश के शासन की रीढ़ मंत्रालयिक कर्मचारियों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखने पर भयंकर विरोध जताया, और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आगामी दिवसों में जयपुर में आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है।
प्रदेश संस्थापक मनीष विधानी ने बताया कि सरकार अपनी ही रीढ़ कहे जाने वाले मंत्रालयिक कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांगों को लगातार दरकिनार कर रही है और अपने ही वादौं से मुकरने का काम कर रही है।इस बजट से आम मंत्रालयिक कर्मचारियों को बहुत उम्मीद थी लेकिन आज भी बाबू संवर्ग को सरकार ने खाली हाथ रखकर ये सिद्ध कर दिया है कि मंत्रालयिक कर्मचारी संवर्ग सरकार की नजरों में कोई अहमियत नहीं रखता है अतः हमारी धैर्य की पराकाष्ठा होने के उपरांत अब आगामी दिनों में सरकार को मंत्रालयिक कर्मचारियों के ऐतिहासिक आंदोलन का सामना करना पडेगा, चाहे हमें पुलिस प्रशासन की लाठियां खानी पड़े लेकिन प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारी राजधानी जयपुर में अंगद बनकर महापड़ाव डालेंगे। संगठन के प्रदेश महामंत्री जितेंद्र गहलोत ने अवगत करवाया कि प्रदेश सरकार ने चुनाव पूर्व मंत्रालयिक कर्मचारियों से जो वादे किए, उन पर सरकार को अमल करना चाहिए था। सरकार हमारी मुख्य ग्रेड पे की मांग के लिए भली-भांति परिचित थी उसके बावजूद मंत्रालयिक कर्मचारियों के विषय में जननायक मुख्यमंत्री जी ने कोई घोषणा नहीं की।
कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व प्रवक्ता सागर पांचाल ने बताया कि इस बजट में सरकार ने आम कर्मचारी की मांग पुरानी पेंशन बहाल की, इसके लिए राज्य सरकार धन्यवाद की पात्र है। पांचाल ने बताया कि जिस कर्मचारी की वर्तमान ग्रेड 2400हे , छठे वेतनमान में उसका बेसिक पे 9840था, इस बेसिक पे पर सातवें वेतनमान में 25300रूपए का भुगतान होना चाहिए था लेकिन पूर्व सरकार के 30.10.17 के कटौती आदेश के द्वारा उस बेसिक पे को 9840 से 8080 कर दिया गया, जिससे छोटे कर्मचारियों को लगभग पांच हजार का नुक़सान कर सातवें वेतनमान में 20800 का ही भुगतान किया गया।इसकी क्षतिपूर्ति कर सरकार को 1986 से पिछड़े आम बाबू को कम से कम 2800ग्रेड का लाभ देना चाहिए था।
बजट घोषणा में पुरानी वेतन विसंगति को खत्म करने के बजाय नई वेतन विसंगति खड़ी कर दी – विधानी
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