25 फरवरी को टोडाभीम के करीरी में विराट किसान महापंचायत करेंगे राकेश टिकैत, पूर्वी राजस्थान और जाट बाहुल्य जिलों पर टिकैत का फोकस, जाट बाहुल्य जिलों में भी राकेश टिकैत के दौरे के चर्चा
जयपुर। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के जरिए देशभर में चर्चा का केंद्र बने किसान नेता राकेश टिकैत की की 25 फरवरी को करौली के टोडाभीम के करीरी में प्रस्तावित किसान महापंचायत ने सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा की नींद उड़ा दी है।
टिकैत की किसान महापंचायत को लेकर कांग्रेस और भाजपा में सियासी मंथन चल रहा है तो वहीं किसान आंदोलन के जरिए राकेश टिकैत की निगाहें जाट, गुर्जर और मीणा जैसी किसान जातियों पर है, यही वजह है कि राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत के लिए पूर्वी राजस्थान को चुना है।
राकेश टिकैत की प्रस्तावित किसान महापंचायत में पूर्वी राजस्थान के दौसा, करौली, सवाई माधोपुर जैसे जिलों से किसानों को महापंचायत में शामिल होने की बात कही जा रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भले ही राकेश टिकैत के नेतृत्व में किए जा रहे आंदोलन के समर्थन में हो, लेकिन अंदरखाने राकेश टिकैत के बढ़ते प्रभाव से चिंतित भी है, यही वजह कि कांग्रेस ने अपने किसान नेताओं को पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर रखने को कहा है।
इसलिए भी चुना पूर्वी राजस्थान को
दऱअसल पूर्वा राजस्थान में महापंचायत करने के पीछे एक वजह है यह भी पूर्वी राजस्थान गुर्जर-मीणा बाहुल्य माना जाता है। साथ ही पूर्वी राजस्थान के कई जिले उत्तर प्रदेश की सीमा से भी सटे हैं। जहां किसान आंदोलन का खासा प्रभाव है, साथ ही दोनों ही जातियां किसान वर्ग से हैं, ऐसे में इन जातियों को साधकर टिकैत आंदोलन को और गति देना चाहते हैं।
जाटलैंड पर भी टिकैत का फोकस
सूत्रों की माने तो पूर्वी राजस्थान के साथ-साथ राकेश टिकैत की नजर जाटलैंड माने जाने वाली शेखावाटी अंचल पर भी है, शेखावाटी के सीकर, झुंझुनू, चूरू और नागौर जैसे जाट बाहुल्य जिलों में भी किसान नेता राकेश टिकैत के दौरे करने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि 25 फरवरी को टोडाभीम के करीरी में किसान महापंचायत के बाद सीकर, झुंझुनू, चूरू और नागौर के दौऱे की घोषणा जल्द हो सकती है।
पूनियां-डोटासरा किसान वर्ग से
हालांकि यह भी एक संयोग है कि राजस्थान में दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष किसान वर्ग से हैं। किसान आंदोलन दोनों ही नेताओं के समक्ष चुनौती है। राहुल गांधी के दौरे ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा को मजबूती दी है ।
डोटासरा लगातार जाट बेल्ट में किसान आंदोलन को जारी रखने की रणनीति पर काम कर रहे हैं । वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों के अनुसार इस रणनीति पर काम कर रहे है कि किसान वर्ग के बीच जाकर यह बताया जाए कि केंद्रीय कृषि कानून उनके खिलाफ नहीं है । बहरहाल अब 25 फरवरी को राकेश टिकैत की प्रस्तावित किसान महापंचायत की सफलता को लेकर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।