नयी दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को भारत की एक ऐसी बेटी की आवाज गूंजेगी जो अपनी विशिष्ट शैली में कहानी के रूप में भविष्य की दुनिया का खाका पेश करेगी और वह भी भारतीय नजरिये से।
जी हां , भारत की 29 वर्षीय भविष्यवेत्ता पुपुल बिष्ट संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें सत्र में सतत विकास के लक्षयों
के तहत “ न्याय, समानता और विश्वास के लिए प्रभावशाली तथा समावेशी संस्थान” विषय पर पैनल चर्चा में हिस्सा लेंगी। इस चर्चा में वह अतीत की कथाओं के जरिये भारतीय दृष्टिकोण से भविष्य की दुनिया का खाका खींचने की
कोशिश करेंगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा बुलाये गये इस विशेष सत्र में हिस्सा लेने के लिए उत्साहित सुश्री बिष्ट ने यूनीवार्ता को
बताया , “ इस महत्वपूर्ण चर्चा में हिस्सा लेना उनके लिए गौरव की बात है । वर्ष 2020 का दशक 2030 के सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तुरंत तथा प्रभावशाली ढंग से इन पर काम करना होगा। हमें यह बात माननी चाहिए कि सभी के भविष्य की कल्पना व्यवस्था में बैठे कुछ लोगों द्वारा नहीं की जा सकती । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिस पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं उनसे कोई पीछे न छूट जाये। यह सीमाओं से आगे जाकर मिलकर और तालमेल से काम करने का मौका है जिससे कि हम अपनी मौजूदा तथा भविष्य की पीढियों के लिए समावेशी दुनिया का निर्माण कर सकें। ”
उन्होंने कहा कि वह अतीत की गहराइयों में जाकर भविष्य की तस्वीर को उकेरने की कोशिश करती हैं क्योंकि हमारी लोककथाओं में असीमित खजाना है जिसे दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत है और वह अपनी कहानी की विधा से यही प्रयास करने में जुटी हैं।
इस विशेष सत्र में वह 30 सदस्य देशों के विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त सामाजिक नेताओं के साथ अपने विचार साझा
करेंगी। सत्र में विभिन्न निजी और अंतर्राष्ट्रीय साझीदार भी हिस्सा ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के प्रारंभिक वक्तव्य के बाद यह सत्र शुरू होगा और इसमें बिल गेट्स फाउंडेशन की मिलिंदा गेट्स, विश्व स्वास्थ्य
संगठन के महानिदेशक , नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई , अफ्रीका के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक आयोग के कार्यकारी सचिव डा वेरा सोंगवे , संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रशासक अचीम स्टेनर और तीस से चालीस देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी हिस्सा लेंगे।
सुश्री बिष्ट ने पिछले वर्षों में कड़ी मेहनत और शोध के बल पर भविष्यवेत्ता के रूप में अपनी पहचान बनायी है। वह
राजस्थान की कावड़कथा के आधार पर अतीत का विश्वलेषण कर भारतीय नजरिये से भविष्य की दुनिया की तस्वीर पेश करती हैं। समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों को केन्द्र में रखकर अपने काम को आगे बढाने के लिए उन्होंने ‘डिकोलोनाइजिंग फ्यूचर्स इनिशिएटिव’की स्थापना की । उन्हें प्रतिष्टित नेक्सट जनरेशन फोरसाइट प्रेक्टिशनर्स अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने भारत में स्नातक की शिक्षा के बाद कनाडा से स्ट्रेटेजिक फोरसाइट एंड इनोवेशन में स्नातकोत्तर की शिक्षा ली है।
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