Uttarakhand Political Crisis विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए उत्तराखंड पहुंचे नरेंद्र सिंह तोमर, मंत्रियों में से ही किसी एक चेहरे पर बीजेपी दांव खेल सकती है
नई दिल्ली। उत्तराखंड ( Uttarakhand ) के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ( Tirath Singh Rawat ) के इस्तीफे के बाद अब सबकी नजरें अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर टिकी हैं। इस बीच उत्तराखंड में ही बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है। बैठक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ( Narendra Singh Tomar ) उत्तराखंड पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड पहुंचकर मीडिया से सवालों के जवाब में तोमर ने कहा कि, अभी तो यहां आया ही हूं। तीन बजे विधायकों के साथ बैठक होनी है। इस दौरान सबसे चर्चा की जाएगी, उसके बाद ही कुछ फैसला होगा।
हंस के आगे बढ़ गए
उत्तराखंड पहुंचने पर जब उनसे सीएम नाम को लेकर ये पूछा गया कि आप दिल्ली से कोई बंद लिफाफा लाएं हैं, तो जवाब देने के बजाए जोर से हंसते हुए तोमर आगे बढ़ गए।
बता दें कि तोमर पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड पहुंचे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर बीजेपी विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे। बताया जा रहा है कि तोमर के साथ ही बीजेपी महासचिव डी पुरंदेश्वरी भी की उपस्थिति भी पार्टी की तरफ से पर्यवेक्षक के तौर पर रहेगी।
सभी विधायकों को मौजूद रहने का निर्देश
देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में आज दोपहर 3 बजे से होने वाली बैठक के लिए राज्य में भाजपा के सभी विधायकों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है। पार्टी के मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में ये बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक के लिए 9.50 बजे की फ्लाइट से नरेंद्र तोमर उत्तराखंड रवाना हो चुके हैं।
विधायकों में से ही चुना जाएगा अगला सीएम
भाजपा की तरफ से यह भी कहा गया था कि इस बार विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुना जाएगा। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व मंत्रियों में से ही अगले सीएम के नाम पर मुहर लग सकता है। ये मुहर शनिवार को ही लगेगी या फिर इसमें और समय लग सकता है, इस राज से पर्दा तो विधायक दल की बैठक के बाद ही उठेगा।
4 साल चार महीने में 2 सीएम
दरअसल उत्तराखंड में इस बार बीजेपी के लिए बड़ी चुनौतियां रहीं। पांच वर्ष के कार्यकाल में चार वर्ष चार महीने में ही पार्टी को दो सीएम बनाने पड़े। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जहां चार साल बतौर सीएम कमान संभाली वहीं तीरथ सिंह रावत को महज चार महीने में ही नाटकीय घटनाक्रम के बीच इस्तीफा देना पड़ा।