चार ग्राम पंचायतों के दर्जनभर गांवों में बढ़ता जनआक्रोश — 14 अक्टूबर को उपखंड कार्यालय का होगा ऐतिहासिक महाघेराव

क्षेत्र में नही थम रहा आक्रोश देर रात आज फिर ग्रामीणों ने निकाली जन आक्रोश रैली

सिरोही। सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित चुना पत्थर खनन परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन दिन-ब-दिन उग्र होता जा रहा है। गुरुवार को वाटेरा गांव में देर रात को ग्रामीणों ने विशाल रैली निकालकर जमकर नारेबाजी की। “धरती नहीं बिकने देंगे, खनन परियोजना करनी होगी रद्द” के नारों से पूरा गांव गूंज उठा।

मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जयपुर द्वारा 800 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर प्रस्तावित है परियोजना।

जानकारी के अनुसार, यह खनन परियोजना पिण्डवाड़ा क्षेत्र की चार ग्राम पंचायतों — वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा — के करीब 11 से अधिक गांवों को प्रभावित करने जा रही है। कुल 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर चुना पत्थर खनन का प्रस्ताव रखा गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना उनके खेत-खलिहान, जलस्रोत, पहाड़ और वनों के अस्तित्व को मिटा देगी। क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोत, वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र और उपजाऊ भूमि पर संकट मंडराने लगा है।

थम्ब बाबा मंदिर में हुई निर्णायक बैठक

गुरुवार शाम वाटेरा के प्रसिद्ध थम्ब बाबा मंदिर प्रांगण में ग्रामवासियों की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई, जिसमें ग्रामीण प्रतिनिधि, महिलाएं, युवा, किसान और बुजुर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह आंदोलन अब केवल वाटेरा या किसी एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे अरावली अंचल की अस्मिता की लड़ाई बन चुका है।
गांव के युवाओं ने कहा “हम अपनी जमीन नहीं बेचेंगे, अपनी धरती नहीं खोदने देंगे। यह संघर्ष जल, जंगल और जीवन की रक्षा के लिए है।”

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आने वाली 14 अक्टूबर (मंगलवार) को पिण्डवाड़ा उपखंड कार्यालय (SDM Office) का महाघेराव किया जाएगा। इस दिन जिलेभर के किसान, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और हजारों ग्रामीण एकत्र होकर सरकार से परियोजना निरस्त करने की मांग करेंगे।

सरकार को दी चेतावनी — नहीं माना तो होगा उग्र आंदोलन

ग्रामीणों ने बैठक में एक स्वर में सरकार को चेतावनी दी कि अगर खनन परियोजना को तुरंत निरस्त नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो जयपुर दिल्ली में भी रैली निकाली जाएगी।“सरकार ने अगर हमारी आवाज नहीं सुनी, तो हम सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करेंगे।”

भारजा में भी ग्रामीण हुए एकजुट

वाटेरा के साथ-साथ भारजा गांव में भी गुरुवार को बैठकों का दौर जारी रहा। भारजा में ग्रामीणों ने पंचायत क्षेत्र में बैठक कर रणनीति तय की और आसपास के गांवों में जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया।
भारजा वाटेरा में में महिलाओं ने भी आंदोलन का मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

क्षेत्र में जागरूकता और एकता की नई लहर

पिछले एक सप्ताह से लगातार रैलियां, सभाएं और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। हर गांव में लोग अपने स्तर पर बैनर-पोस्टर बनाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
युवाओं ने सोशल मीडिया पर भी “धरती बचाओ आंदोलन” नाम से अभियान चलाया है, जो तेजी से फैल रहा है।

ग्रामीणों का कहना — यह सिर्फ खनन का नहीं, अस्तित्व का सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन, भूजल स्तर और खेती को पूरी तरह नष्ट कर देगी। “खनन से हमें रोजगार नहीं मिलेगा, बल्कि उजाड़ मिलेगा। हमारी धरती, हमारे जंगल, हमारे देवस्थान सब नष्ट हो जाएंगे।”

14 अक्टूबर को निर्णायक दिन

अब सभी की निगाहें 14 अक्टूबर पर टिकी हैं। उस दिन पिण्डवाड़ा SDM कार्यालय के बाहर हजारों ग्रामीण जुटकर सरकार से एक ही मांग करेंगे “खनन परियोजना को तुरंत निरस्त किया जाए।”

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