Lok Sabha Elections: 2009 से 2019 तक 21,000 उम्मीदवारों ने तीन चुनावों में गंवाई इतनी जमानत राशि, जानिए कहां गए ये करोड़ों रुपये

1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से अब तक 71,000 से अधिक उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए कुल वैध वोटों का न्यूनतम छठा हिस्सा हासिल करने में विफल रहे।

नई दिल्ली. भारत में आम चुनाव लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण महापर्व होता है। देश की जनता इस महापर्व में विभिन्न दलों के उम्मीदवारों में से योग्य का चयन कर नई सरकार बनाने के लिए अपना मत देती है। लोकसभा का चुनाव कराना किसी बड़ी कवायद से कम नहीं होता है। इसमें भारी भरकम धनराशि खर्च के साथ ही उम्मीदवारों के लिए भी जनता का समर्थन पाने की बड़ी चुनौती होती है। हर बार चुनाव में हजारों उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाते हैं, उनमें से कुछ ही सफल होते हैं और बड़ी संख्या में उम्मीदवार पीछे रह जाते हैं। जो उम्मीदवार चुनाव हार जाते हैं। उनमें से भी काफी अधिक संख्या में ऐसे होते हैं, जिनकी जमानत राशि भी नहीं बच पाती है। पिछले तीन चुनावों में कुल खड़े उम्मीदवारों में से अपनी जमानत राशि न बचा पाने वालों की संख्या काफी अधिक है। इनकी जमानत के करोड़ों रुपये राजकोष में चले गये।

2019 में 86 फीसदी उम्मीदवार ऐसे रहे जिनकी जमानत राशि जब्त हुई थी
एक रिपोर्ट के अनुसार 2009, 2014 और 2019 के आम चुनावों में कुल 21,000 उम्मीदवारों की 46 करोड़ रुपये की जमानत राशि जब्त हो चुकी है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार देश में 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से अब तक 71,000 से अधिक उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए कुल वैध वोटों का न्यूनतम छठा हिस्सा हासिल करने में विफल रहे। इसकी वजह से वे अपनी जमानत राशि खो चुके है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में 86 फीसदी उम्मीदवार ऐसे रहे जिनकी जमानत राशि जब्त हुई थी।

कुल वैध मतों का कम से कम छठा हिस्सा पाने वालों का पैसा वापस हो जाता है
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार जो उम्मीदवार कुल वैध वोटों का कम से कम छठा हिस्सा हासिल करने में विफल रहता है, उनकी जमा राशि जब्त हो जाती है और उसे राजकोष में डाल दिया जाता है। जो उम्मीदवार कुल वैध मतों का कम से कम छठा हिस्सा पाने में सफल रहता है, रिटर्निंग ऑफिसर उसको उसकी जमानत राशि वापस कर देता है।

पिछले कुछ वर्षों में जमानत राशि भी बढ़ गई है। 1951 में सामान्य उम्मीदवारों के लिए 500 रुपये और एससी/एसटी समुदायों के उम्मीदवारों के लिए 250 रुपये की जमानत राशि बढ़कर अब सामान्य और एससी/एसटी समुदायों के उम्मीदवारों के लिए क्रमशः 25,000 रुपये और 12,500 रुपये हो गई है। आम तौर पर चुनावी हार के बावजूद अगर जमानत राशि बच गई तो इसे अच्छा माना जाता है, लेकिन हार के बाद जमानत राशि जब्त हो जाना उम्मीदवार के लिए अपमानजनक माना जाता है।

चुनाव में जमानत राशि क्या होती है?
चुनावों में जमानत राशि वह धन है जो उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र दाखिल करते समय रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा करता है। इसे या तो नकद में जमा किया जाना है, या नामांकन पत्र के साथ एक रसीद लगानी होगी, जिसमें दिखाया गया हो कि उक्त राशि उम्मीदवार की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक या सरकारी खजाने में जमा की गई है। इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक इच्छुक उम्मीदवार ही चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए नामांकन दाखिल करें।

क्या सभी चुनावों के लिए राशि समान है?
नहीं, यह आयोजित किए जा रहे विशेष चुनाव पर निर्भर करता है। 1951 के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में चुनाव के स्तर के आधार पर विभिन्न राशियों का उल्लेख है।

संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के मामले में, जिसका अर्थ लोकसभा और राज्यसभा सीट है, सामान्य उम्मीदवारों और अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) के उम्मीदवार के लिए राशि क्रमश: 25,000 रुपये और 12,500 रुपये है। किसी विधानसभा या विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव के मामले में यानी राज्यों में विधायी निकायों के स्तर पर एससी/एसटी उम्मीदवार के लिए यह 10,000 रुपये और 5,000 रुपये है।

Date:

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

महाराष्ट्र में प्रचंड जीत: मुंबई के बीजेपी दफ्तर में लगा ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का पोस्टर, चर्चाएं तेज

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति ने महाविकस अघाड़ी को...