न्यूयॉर्क। साइंटिस्ट्स नवजात शिशुओं का विकास आर्टिफिशियल कोख के जरिए करने की प्रोसेस के बेहद करीब पहुंच गए हैं। अमेरिका में स्वास्थ्य और मानव सेवाओं से जुड़ी एजेंसी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अगले हफ्ते क्लिनिकल टेस्ट से जुड़े मुद्दों पर महत्वपूर्ण बैठक करने जा रही है।
दरअसल, मानव शिशुओं पर टेस्ट के लिए एफडीए की अनुमति जरूरी होगी। अफसरों की मानें तो हाई प्रोफाइल फैसलों से पहले एजेंसी बाहरी सलाहकारों की राय लेती है। इसमें इस बात पर चर्चा होगी कि कृत्रिम कोख में मानव परीक्षण कैसे किया जाए।
विटारा बॉयोमेडिकल कंपनी इस पर काम कर रही
इससे पहले, इसी विधि से वैज्ञानिक 2017 में एक मेमने का परीक्षण कर चुके हैं। वैज्ञानिक इसके परीक्षण के माध्यम से समय से पहले पैदा हुए नवजात को आधुनिक चिकित्सा के जरिए उन्हें स्वस्थ्य रखने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर फिलाडेल्फिया स्थित विटारा बॉयोमेडिकल नाम की कंपनी भी काम कर रही है।
विटारा का कृत्रिम गर्भ प्लास्टिक बैग की तरह है। इसमें ट्यूब जुड़े हैं, जिनकी मदद से भ्रूण तक फ्रेश एमनियोटिक लिक्विड ऑक्सीजन, खून और दवाएं पहुंचाई जाती हैं।
वैज्ञानिक कृत्रिम कोख की मदद से 23 से 25 हफ्ते के गर्भकाल में जन्म लेने वाले प्री-मैच्योर शिशुओं का पोषण करेंगे। इससे शिशुओं के फेफड़े कुछ और हफ्ते तक सामान्य रूप से विकसित हो सकेंगे। अभी उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। माता-पिता को डिवाइस के जोखिम के बारे में भी बताया जाएगा। इसमें संक्रमण, ब्रेन डैमेज और दिल की धड़कन रूकना शामिल है।
अमेरिका में 10 में से एक शिशु का जन्म 37 हफ्ते से पहले
आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में 10 शिशु में से एक का जन्म 37 हफ्ते से पहले होता है। 1% शिशु 28 हफ्ते में जन्म लेते हैं। इन्हें मां के गर्भ से निकालकर बैग में रखना होगा। ये गर्भनाल रक्तवाहिकाएं सिकुड़ने से पहले करना होगा।