मैग्जीन के मुताबिक वर्ल्ड बैंक के भारतीय मूल के पहले अध्यक्ष अजय बंगा के साथ बाइडन और मोदी की तस्वीर काफी कुछ कहती है। ये तस्वीर तब और प्रभावी हो जाती है जब इसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों साउथ अफ्रीका और ब्राजील के राष्ट्रपति शामिल हुए।
नई दिल्ली. G20 खत्म होने के बाद वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है कि इससे क्या हासिल हुआ। खासकर ऐसे दौर में जब चीन और रूस के राष्ट्रपतियों ने सम्मिट से किनारा करने में ज्यादा रुचि दिखाई। अमेरिकी की जानीमानी मैग्जीन Time का कहना है कि शी जिनपिंग और व्लादिमिर पुतिन के बगैर हुई सम्मिट ने ये दिखाया कि अमेरिका का भरोसा भारत पर बढ़ा है। ग्लोबल साउथ की पॉलिसी में भारत अमेरिका का सबसे अहम साझेदार है।
Time के मुताबिक अमेरिका को पता है कि चीन और रूस उसे नुकसान पहुंचाने का कोई मौका जाया नहीं जाने देने वाले। दोनों की जुगलबंदी अमेरिका के लिए मुफीद नहीं है। लिहाजा बाइडन को एक ऐसा मजबूत साझेदार चाहिए था जो दोनों देशों के खिलाफ उसकी लड़ाई में मजबूती से साथ दे सके। रूस और चीन को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने में अहम भूमिका निभा सके। G20 ने दिखाया कि मोदी पर अमेरिका का भरोसा बढ़ा है।
तस्वीर में बाइडन, मोदी और बंगा के साथ साउथ अफ्रीका व ब्राजील के राष्ट्रपति
रिपोर्ट कहती है कि आखिरकार अमेरिका ग्लोबल साउथ की भाषा को सीखने लगा है। इसमें भारत पर उसे सबसे ज्यादा भरोसा है। बाइडन को लगता है कि वैश्विक स्तर पर अमेरिकी नेतृत्व को भारत की वजह से और ज्यादा मजबूती मिलने जा रही है। मैग्जीन के मुताबिक वर्ल्ड बैंक के भारतीय मूल के पहले अध्यक्ष अजय बंगा के साथ बाइडन और मोदी की तस्वीर काफी कुछ कहती है। ये तस्वीर तब और प्रभावी हो जाती है जब इसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों साउथ अफ्रीका और ब्राजील के राष्ट्रपति शामिल हुए। चीन और रूस दोनों को ये संदेश पहुंच गया होगा। दोनों ही ब्रिक्स के साझादार हैं।
भारत को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता तब मिली जब उसकी अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रमुख मतभेदों से पार पाते हुए एक सर्वसम्मत घोषणापत्र को अपनाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक विश्वास की कमी को खत्म करने का आह्वान किया।
अफ्रीकी संघ का जी20 के स्थायी सदस्यों में शामिल होना भारत की उपलब्धि
जी20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत का, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक का और विश्व की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। ग्रुप का कुनबा उस समय और बढ़ गया जब शनिवार को अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। ये भारत की उपलब्धि मानी जा रही है।
G20 की सफलता को देखकर ढीले पड़े चीन के तेवर, की तारीफ
चीन ने सोमवार को कहा कि जी20 के नयी दिल्ली घोषणापत्र ने एक सकारात्मक संकेत दिया है कि इस प्रभावशाली समूह के सदस्य देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने तथा आर्थिक सुधार के लिए हाथ मिला रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में पूछा गया कि बीजिंग रविवार को संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन के नतीजे को कैसे देखता है तो उन्होंने कहा कि घोषणापत्र यह संकेत देता है कि जी20 देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिला रहे हैं, जो आर्थिक सुधार पर दुनिया को सकारात्मक संकेत दे रहा है।