कोरोना के बाद अब जिला प्रशासन, आरटीओ व टैक्सी यूनियन बन रहा बच्चों की पढ़ाई में रुकावट,क्यों नहीं निकल रहा हड़ताल तोड़ने का हल..

कोरोना के बाद अब जिला प्रशासन,आरटीओ व टैक्सी यूनियन बन रहा बच्चों की पढ़ाई में रुकावट,क्यों नहीं निकल रहा हड़ताल तोड़ने का हल..

पत्रकार नारायण उपाध्याय की मंडे स्पेशल स्टोरी
बीकानेर@जागरूक जनता। बीकानेर में बालवाहिनी संचालक बीते 2 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है । इस हड़ताल का असर शासन प्रशासन पर तो नही बल्कि बच्चों पर जरूर पड़ रहा है । खासकर उन पर बच्चों के सामने जो टैक्सी, बस और वेन गाड़ी पर स्कूल आने जाने के लिए निर्भर है। टेक्सी यूनियन का कहना है जब तक हमारी मांग पूरी नही हो जाती ये हड़ताल जारी रहेगी। टैक्सी यूनियन के नेताओं के अनुसार आरटीओ बीकानेर में बालवाहिनी संचालको को कागजी कार्रवाई के नाम पर बेवज़ह परेशान कर रहा है। वंही आरटीओ का कहना है कि कुछ बालवाहिनी शहर में अवैध रूप से चल रही है जिनमे मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है । चूंकि मामला बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है ऐसे में केवल उन्हीं गाड़ियों के चालान किये जा रहे है जो अवैध व बिना दस्तावेज के चल रहे है। लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने आंदोलनरत यूनियन के पदाधिकारियों से इस हड़ताल को खत्म करने का रास्ता नही निकाला है। ऐसे में इस हड़ताल का असर निर्दोष बच्चों पर पड़ रहा है । एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर के स्कूलों में पढ़ने वाले 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे बालवाहिनी पर निर्भर है। लेकिन दोनों पक्ष अपने अपने इरादों पर अड़े हुए है। जवाहर नगर निवासी एक अभिभावक संजय पाईवाल ने बताया कि हड़ताल के चलते उन्हें ऑफिस जाने की बजाय बच्चों को लाने लेजाने की जिम्मेदारी आ पड़ी है, क्या करे प्रशासन कब इसका हल निकलेगा।

डीसी के निर्देश पर एक्टिव हुआ आरटीओ..
गौरतलब है, बीकानेर के ऊर्जावान डीसी नीरज के पवन ने शहर में अवैध रूप से चल रही बालवाहिनी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश बीते दिनों दिए थे, जिसके बाद आरटीओ एक्टिव हुआ और चालान कटने शुरू हुए । वंही इस हड़ताल का असर जिला प्रशासन व आरटीओ पर ना होता देख यूनियन के नेता युधिष्ठिर सिंह भाटी ने सोमवार को सुबह से शाम पाँच बजे तक शहर में संचालित सभी टैक्सी को बंद रखने का निर्णय लिया है।

कब निकलेगा हल..
इस हड़ताल से बच्चों का भविष्य अधर में अटक गया है एक तो पहले से कोरोना की मार अब तक झेल रहे है क्योंकि कोरोना ने बच्चों की पढ़ाई को दो साल पीछे धकेल दिया और अब यही काम जिला प्रशासन और बालवाहिनी संचालक कर रहे है । दोनो पक्ष अपने अपने इरादों पर मजबूती से डटे हुए है, लेकिन कमजोर ओर दयनीय स्थिति तो बच्चों और अभिभावकों की हो रही है । ऐसे में ऊर्जावान संभागीय आयुक्त नीरज के पवन व जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल से मार्मिक अपील है कि वे इस मसले का हल जल्द निकाले ताकि बच्चों की पढ़ाई निर्बाध रूप से अनवरत रहे और अभिभावक चैन की सांस ले सके।

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