केंद्र सरकार के इस कदम के बाद खाद्य तेलों में आ सकती है गिरावट

दिल्ली। केंद्र ने दो साल की अवधि के लिए शून्य सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना और विकास उपकर पर प्रतिवर्ष कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल में से प्रत्येक 20 लाख टन की मात्रा के आयात की अनुमति दी है। भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है। हालांकि, यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति कम हो गई है, क्योंकि युद्ध में शामिल दोनों देश रूस और यूक्रेन इसके प्रमुख उत्पादक हैं। सरकार ने इन पर एग्रिकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस से छूट दे दी है।


तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर देना होगा जोर
आयात शुल्क कम ज्यादा करने की जगह सरकार को तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा, क्योंकि इससे ही हमारी दूसरे देशों पर निर्भरता को खत्म करने में मदद मिल सकती है। वायदा कारोबार के गोदामों में रखी विभिन्न वस्तुओं के अलावा पशु आहार बिनौला तेल खली की भी बीच-बीच में गुणवत्ता जांच कराई जानी चाहिए। इसकी पशु आहार के रूप में भारी खपत होती है। मंडियों में सरसों की आवक घटने के कारण सरसों दाना की कीमतों में सुधार आया, जबकि सरसों के बाकी तेलों के दाम पूर्वस्तर पर रहे। मांग होने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर रहे पर सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए। बिनौला तेल कीमतों में गिरावट रही जबकि मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। 

Date:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

यूईएम जयपुर में एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर संकाय विकास कार्यक्रम-II शुरू हुआ

जयपुर. यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट जयपुर (यूईएम), जयपुर...

Jagruk Janta Hindi News Paper 02.07.2025

Jagruk Janta 02 July 2025Download

पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयुर्वेद चिकित्सा शिविर 1 जुलाई को

जयपुर । पिंक सिटी प्रेस क्लब जयपुर में निशुल्क...