कीड़े हमेशा मीठे में ही पड़ते हैं, नमक में नहीं!

शिव दयाल मिश्रा
खाने में नीम तो कड़वा ही लगेगा, चाहे उसे उपयोग में लेने वाला उसे मीठा होना चाहता हो। मगर यह संभव नहीं है। बीमारी चाहे कितनी ही बड़ी हो अगर हम पुरानी चिकित्सा पद्धति की तरफ देखेंगे तो हमें नजर आएगा कि उस गंभीर बीमारी को मिटाने के लिए उपयोग में ली जाने वाली दवा कड़वी ही होती है। मगर बीमार आदमी हमेशा कड़वी दवा लेने में बहुत ही आनाकानी करता है। उसे तो मीठी दवा चाहिए। जबकि मीठी दवा अपना असर नहीं दिखाती और दिखाती भी है तो बहुत ही कम। यानि अगर बीमारी मिटाना है तो फिर दवा तो कड़वी ही लेनी होती है। इसी प्रकार हमारे समाज में, परिवार में, घर में अगर कुछ गलत है तो उसे कठोरता से ही मिटाया जा सकता है। प्रेम प्यार की भाषा को कोई समझता ही नहीं है, बल्कि प्रेम प्यार की भाषा को हमेशा हल्के में ही लिया जाता है। किसी भी विभाग का अधिकारी अगर अपने कर्मचारियों द्वारा प्रशंसा का भूखा है तो वह कभी भी सफल अधिकारी साबित नहीं हो सकता। उसे तो कार्य और समय के प्रति कठोरता अपनानी ही होगी, तभी वह समय पर काम करवा पाएगा, अन्यथा वह कभी भी किसी काम को सही और समय पर नहीं करवा सकता। क्योंकि चाटुकार हमेशा उसकी प्रशंसा करते रहते हैं और काम के प्रति ठेंगा दिखाते हैं वह प्रशंसा का भूखा कभी उनका बुरा नहीं बन चाहता। अब बात नीम और जीभ पर आकर टिकती है। नीम अगर असरदार है तो उसका स्वभाव कड़वा है, जीभ को तो नीम कड़वा ही लगेगा। मगर इसमें दोष नीम का नहीं है। दोष तो जीभ का है जो हमेशा मीठा ही पसंद करती है। यह याद रखने वाली बात है कि कीड़े हमेशा मिठाई में ही पड़ते हैं, नमक में नहीं। इसलिए कड़वा बोलने वाले को अपना हितैषी समझो, दुश्मन नहीं।
[email protected]

.

.

.

.

Date:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Jagruk Janta Hindi News Paper 9 April 2025

Jagruk Janta 9 April 2025Download

जयपुर ब्लास्ट केस : कोर्ट ने दी सभी को हुई आजीवन कारावास की सजा

जयपुर ब्लास्ट केस में कोर्ट ने अपना फैसला सुना...

पीएम मोदी ने मुद्रा योजना के लाभार्थियों से की बात, बोले – ‘सपने हकीकत में बदल गए’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना...