इस्लामाबाद। पाकिस्तान के जाने-माने सर्जन डॉक्टर जावेद इकबाल के एक ट्वीट पर इन दिनों घमासान मचा हुआ है। दरअसल, डॉ. जावेद ने 7 महिला स्टूडेंट्स की एक फोटो शेयर की है। साथ ही लिखा- ‘कौन कहता है कि सर्जरी लड़कियों के लिए नहीं है। ये सातों सर्जन हैं। मैं कृतज्ञ हूं कि मुझे इन्हें ट्रेंड करने का मौका मिला।’
डॉ. जावेद के इस ट्वीट को लेकर कट्टरपंथी विचारधारा के सोशल मीडिया यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। ट्रोल्स का कहना है कि डॉ. इकबाल इन महिलाओं को भ्रष्ट कर रहे हैं। हालांकि अधिकतर यूजर्स ने इस ट्वीट और फोटो के मकसद की तारीफ की है। साथ ही इसे पाकिस्तान की लड़कियों के लिए प्रेरणादायक बताया है।
ट्रोल्स का क्या कहना है?
- ट्रोल्स का कहना है कि इन महिलाओं को सर्जन नहीं बनना चाहिए। इन्हें अच्छी पत्नी और मां बनने की जरूरत है।
- एक यूजर ने लिखा- उन्हें गुमराह मत करो, उनकी अच्छी पत्नी और अच्छी मां वाली जिंदगी को बर्बाद मत करो। क्यों उन पर और बोझ बढ़ा रहे हो। उन्हें MBBS में ही कुछ आराम वाली और अधिक रिवार्ड वाली उभरती फील्ड को चुनना चाहिए।
- एक दूसरे यूजर ने कहा कि सर्जरी महिलाओं की फील्ड नहीं है। उनकी फिजिकल एबिलिटी इसके लायक नहीं है।
- एक यूजर ने फोटो में दिख रही महिलाओं की पोशाक पर कमेंट किया। उसने लिखा कि सोचता हूं कि आपने उन्हें पर्दा करना सिखाया होता।
- सपोर्ट में भी खड़े हैं लोग
- एक यूजर ने ट्रोल्स को जवाब दिया- महिलाएं कोई भी फील्ड जॉइन कर सकती हैं। नकारने से पहले उन्हें मौका दीजिए। आप देखेंगे कि महिलाएं कोई भी जॉब करने में सक्षम हैं।
- एक दूसरे यूजर ने लिखा कि डॉ इकबाल अच्छा काम कर रहे हैं। पाकिस्तान को ऐसे लोगों की जरूरत है। महिला डॉक्टर्स तक की देश में काफी कमी है।
- एक यूजर ने कहा कि कई महिलाओं को पुरुष डॉक्टर्स के पास जाना पसंद नहीं है लेकिन महिला डॉक्टर्स की कमी की वजह से ऐसा करना पड़ता है।
‘मुझे हाउस सर्जरी जॉब छोड़नी पड़ी’
पाकिस्तान में कई महिला ट्रेनी डॉक्टर्स प्रैक्टिस में दिक्कतों का सामना करती हैं। एक महिला डॉक्टर ने ट्वीट कर बताया- मुझे हाउस सर्जरी जॉब छोड़नी पड़ी, क्योंकि साथी पुरुष हाउस-ऑफिसर्स मेरा मनोबल गिराते थे। मेरे लिए वो हमेशा निगेटिव बातें बोलते थे।
‘डॉक्टर्स के प्रति विश्वास घटा’
जून, 2020 में एक पाकिस्तानी महिला डॉक्टर का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में उन्होंने पाकिस्तानियों के दोहरे रवैये पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा- किसी विषय के बारे में पता नहीं होने पर भी उन्हें विशेषज्ञ बनने का जुनून सवार होता है। अफवाहबाज पहले अपने दिमाग में कुछ राय बनाते हैं, फिर एक्सपर्ट बनकर लोगों से बात करते हैं। महामारी काल में डॉक्टर्स के प्रति अविश्वास की खाई गहरी हुई है।