महापंचायत के लिए गहलोत, डोटासरा और कई मंत्रियों को न्योता भेजा, लेकिन वे नहीं आए
जयपुर। जयपुर जिले के कोटखावदा में किसान महापंचायत को सचिन पायलट ने संबोधित किया। उन्होंने कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक यह आंदोलन यूं ही चलता रहेगा। पायलट के मंच पर कुर्सी की बजाए मुड्डे रखे गए हैं। पगड़ी पहनाकर मंच पर उनका स्वागत किया गया। मंच पर 15 पायलट समर्थक विधायक भी हैं।

जुलाई में पायलट का साथ छोड़ने वाले विधायक प्रशांत बैरवा भी महापंचायत के मंच पर पहुंचे। इस दौरान पायलट समर्थकों ने हूटिंग शुरू कर दी। हालांकि, बाद में उनको शांत करवाया गया। बैरवा को मंच पर जगह दी गई है। प्रशांत बैरवा 7 महीने बाद पायलट के किसी कार्यक्रम में पहुंचे हैं। प्रशांत बैरवा पहले सचिन पायलट के ही साथ थे लेकिन जुलाई में बगावत के वक्त गहलोत खेमे में चले गए थे। बाड़ेबंदी में भी वे गहलोत के साथ थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशांत बैरवा गहलोत खेमा छोड़कर वापस पायलट के साथ आ गए हैं।
कांग्रेस विधायक विश्वेंद्र सिंह ने नाम लिए बिना गहलोत पर निशाना। उन्होंने कहा- पहले हमारी 99 सीट आईं, फिर 101 हो गई। मेहनत कोई करे…. विश्वेंद्र सिंह के इतना कहते ही पूरी महापंचायत में तालिया और पायलट के समर्थन में नारेबाजी होने लगी। लोगों ने जमकर नारेबाजी की। इस पर विश्वेंद्र सिंह ने कहा- आप मेरे से ज्यादा होशियार हो। मैं आपको क्या भाषण दूं। विश्वेंद्र सिंह मेहनत कोई करे… यह कहकर रुक गए, लेकिन इसमें सब कुछ कह गए, पायलट समर्थक भी समझ गए और जनता भी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी आगाज करके गए हैं। पायलट की यह रैली नहीं रैला है।
महांपचायत में बड़ी तादाद में लोग जुटे हैं। 14 पायलट समर्थक विधायक और कई समर्थक नेता भी पहुंचे हैं। पायलट समर्थक जो विधायक मंच पर हैं, उनमें विश्वेंद्र सिंह, हेमाराम चौधरी, मुरारीलाल मीणा, बृजेंद्र सिंह ओला, रमेश मीणा, वेद सोलंकी, हरीश मीणा, जीआर खटाणा, इंद्राज गुर्जर, राकेश पारीक, अमर सिंह जाटव, सुरेश मोदी हैं।
महापंचायत से पहले राजेश पायलट की मूर्ति का अनावरण कार्यक्रम भी रखा गया है। महापंचायत में सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित गहलोत खेमे के कई नेताओं को भी निमंत्रण दिया गया है। लेकिन वे नहीं आएं। क्योंकि 12 बजे से जयपुर में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम था। टोंक, जयपुर और दौसा इलाके के दूर-दराज के गांवों से पायलट समर्थकों ने महापंचायत में किसानों को बुलाने के लिए जनसंपर्क अभियान चलाया था।
सभा स्थल पर पायलट के बड़े-बड़े कटआउट लगे हैं। मंच पर भी जो पोस्टर लगा है उसमें कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं की तस्वीर हैं। हालांकि, राहुल गांधी और पायलट की फोटो बड़ी है। जबकि गहलोत और डोटासरा की फोटो बीच में लगाई गई है।
पायलट के अपमान का मुद्दा उठने के बाद पहली रैली
राहुल गांधी के दौरे में रूपनगढ की ट्रैक्टर रैली में पायलट के अपमान का मुद्दा उठने के बाद से पायलट समर्थक लामबंद हैं। इसका असर इस महापंचायत पर दिखना तय माना जा रहा है। पायलट समर्थक चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी के क्षेत्र कोटखावदा में यह किसान महापंचायत बुलाई है। इसका घोषित मकसद केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध है। लेकिन अघोषित मकसद शक्ति प्रदर्शन है। हाल के दिनों में पायलट की यह तीसरी किसान महापंचायत है।
पायलट की मैसेज देने की कवायद
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक जब से कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल के दौरे में पायलट के अपमान का मुद्दा उठाया है तब से पायलट समर्थक विधायक फिर से लामबंद हो रहे हैं। राहुल के दौरे के बाद पायलट का यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम है। इससे पहले दौसा और बयाना में कृषि कानूनों के खिलाफ पायलट किसान महापंचायत कर चुके हैं। बयाना की महापंचायत में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी थी।
महापंचायतों के जरिए पायलट की ‘पॉवर रिगेन’ की तैयारी
पायलट अपने समर्थक विधायकों के इलाकों में केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान महापंचायत कर रहे हैं। बताया जाता है कि बगावत और फिर सुलह के बाद पायलट अब जनता के बीच निकलकर पावर रिगेन का प्रयास कर रहे हैं। एक बड़े वर्ग में पायलट अपने प्रति सहानुभूति पैदा कर उसे राजनीतिक फायदे में बदलने का भी प्रयास कर रहे हैं। जिस तरह प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में दौरे कर रही हैं उसी पैटर्न को पायलट ने अपनाया है। किसान आंदोलन से कांग्रेस के नेता उतने सक्रिय रूप से नहीं जुड़े हैं। पायलट इसी का फायदा उठाकर लगातार महापंचायत करके किसान आंदोलन में अपना स्पेस बनाने की रणनीति पर चल रहे हैं। सचिन पायलट आगे भी किसान महापंचायतें जारी रखने वाले हैं।