योग आध्यात्मिक चेतना का अभ्यास है: प्रो आनंद भालेराव

जयपुर. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में भव्य और दिव्य योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम “Yoga for One Earth, One Health” के अनुरूप विश्वविद्यालय परिवार ने उत्साह, उल्लास और पूर्ण एकाग्रता के साथ योग करके शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश दिया।
कार्यक्रम प्रातः 7:00 से 7:45 बजे तक योगा हॉल में हुआ जहाँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव के साथ विद्यार्थियों, शिक्षकगण, अधिकारीगण तथा कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर इस विशेष अवसर को यादगार बना दिया और सामूहिक रूप से कॉमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास किया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों द्वारा किया गया जिन्होंने सरल और प्रभावशाली ढंग से निर्देशित किया। आसनों, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से प्रतिभागियों को आंतरिक शांति एवं संतुलन का अनुभव कराया गया।

इस बार का योग कार्यक्रम योग संगम 2025 के अंतर्गत आयोजित हुआ जो आज पूरे देश के 5 लाख से अधिक स्थानों पर एक साथ आयोजित हुआ जो विश्व का सबसे बड़ा सामूहिक रूप से किया गया योग अभ्यास है जिसका नेतृत्व हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से किया और आज राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने भी इस ‘योग संगम 2025’ में भागीदारी निभाई।
योग संगम के इस विशेष अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि – आज हम उस दिव्य परंपरा का उत्सव मना रहे हैं जिसने भारत को आध्यात्मिक चेतना का प्रकाश स्तंभ बनाया है यह दिन केवल योगासन करने या प्रदर्शन का अवसर नहीं है यह उस चिरंतन भारतीय ज्ञान की पुनः प्रस्तुति है जो हमें शरीर मन और आत्मा के बीच संतुलन साधने की प्रेरणा देता है।

प्रो. भालेराव ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में योग को केवल एक शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं देखा जाता है बल्कि इसे समग्र शिक्षा और जीवन निर्माण के अभिन्न भाग के रूप में अपनाया गया है जहां योग केवल शारीरिक दक्षता नहीं बल्कि नैतिकता सह अस्तित्व और आध्यात्मिक चेतना का अभ्यास है। उन्होंने बताया कि योग का अर्थ चित्त की वृतियों का निरोध है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि एक समग्र जीवन शैली है जो हमें संयम अनुशासन सहनशीलता करुणा और आत्मभूत की ओर ले जाती है।

कुलपति ने बताया कि यह भारत के लिए गर्व की बात है कि हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयास उसे 21 जून को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी और आज दुनिया के कोने-कोने में लोगों को अपने जीवन का हिस्सा बना रहे हैं।

अंत में प्रो. भालेराव ने कहा कि लिए हम सब मिलकर योग को जीवन का उत्सव बनाएं जहां हर स्वास्थ्य में संतुलन हो हर विचार में स्पष्ट हो और हर करम में करुणा हो, योग का अंतिम लक्ष्य सबके कल्याण की भावना है।
कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि सत्र के अंत में सभी प्रतिभागियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी, जिसमें अंकुरित अनाज, हर्बल पेय आदि शामिल थे। यह पहल विश्वविद्यालय द्वारा स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे यह आयोजन अत्यंत सफल एवं प्रेरणादायक बना। योग विभाग के प्रो राघवेंद्र भट्ट और डॉ काशीनाथ मैत्री ने योग का प्रदर्शन किया और प्रो संजीब पत्र ने निर्देश दिए जिसका सभी प्रतिभागियों ने अनुसरण किया । कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया।

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