यशवंत सिन्हा बोले- पांच साल हमने खामोश राष्ट्रपति देखा:कहा- मुझे खुद नहीं पता चुनाव बाद मेरा क्या हश्र होगा?

जयपुर। यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खामोश बताते हुए राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। सिन्हा ने कहा- पांच साल की अगर बात करें तो यह राष्ट्रपति भवन की खामोशी का दौर था। हम लोगों ने एक खामोश राष्ट्रपति देखा।

कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री को भी बोलना चाहिए। कम से कम राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को बुलाकर देश के वर्तमान हालात पर चर्चा तो कर ही सकते हैं। इसीलिए पिछला पांच साल का दौर खामोशी का रहा। राष्ट्रपति के एक संवैधानिक दायित्व का उतना पालन नहीं हुआ जितनी उम्मीद थी। सिन्हा सोमवार को जयपुर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।

सिन्हा ने कहा- ​हम केवल एक राजनीतिक दल से नहीं लड़ रहे हैं, हम सरकार की उन एजेंसियों भी लड़ रहे हैं, जो लोगों को परेशान करने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इसलिए लड़ाई ED से है, CBI से है, इनकम टैक्स से है। मैं जानता नहीं हूं कि इस चुनाव के बाद मेरा क्या हश्र होगा?

शपथ लेते ही दूसरे दिन से एजेंसियों का दुरुपयोग रोक दूंगा
सिन्हा ने कहा- मैं इतना कह सकता हूं कि मैं अगर राष्ट्रपति का चुनाव जीता तो शपथ लेते ही दूसरे दिन से यह जो सरकार की ओर से एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है,वह रोक दूंगा। किस अधिकार का प्रयोग करके रोकूंगा, लेकिन रोकूंगा,इनका दुरुपयोग नहीं होने दूंगा।
अभी छत्तीसगढ़ गया था, वहां एक बिजनेसमैन के इनकम टैक्स ने रेड डाली। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बता रहे थे कि जिस बिजनेसमैन के इनकम टैक्स रेड हुई, उस पर इनकम टैक्स इस बात का दबाव डाल रहा था कि सरकार गिराओ। इस दुरुपयोग को रोका जाएगा। मैं पीएम को बुलाकर कहूंगा कि देश के ज्वलंत मुद्दों पर खामोशी ठीक नहीं है, इन मुद्दों पर बोलिए।

आडवाणी की हालत पर अफसोस होता है
लालकृष्ण आडवाणी की अनदेखी के सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा- आडवाणी की हालत देखकर अफसोस होता है। बेचारे बैठे हैं ऐसे करके हाथ ​हिलाकर नमस्कार करते हैं। सामने से एक आदमी गुजर जाता है और उनकी तरफ देखता भी नहीं है। मेरी और आडवाणी की कोई तुलना नहीं हो सकती, आडवाणी टावरिंग लीडर हैं।

मैं जिस BJP में था वह अब मर चुकी है
BJP में रहकर अब दलदल के सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा- मैं जिस BJP में था वह अब मर चुकी है। पहले BJP में आपसी सहमति से काम होता था, वह दौर खत्म हो गया है। अटल बिहारी वाजपेयी सहमति से काम करते थे, वे विपक्ष का सम्मान करते थे। मेरे केंद्रीय वित्त मंत्री रहते केरल के सीपीएम के सीएम थे ईके नयानार, उन्होंने किसी मुद्दे पर मुझे रिक्वेस्ट भेजी। मैंने तत्काल उसका समाधान किया।

इसके बाद नयानार ने पत्र भेजा कि BJP के मिनिस्टर से यह उम्मीद नहीं करता कि केरल की लेफ्ट सरकार की मदद करेंगे। इसका सीधा श्रेय वाजपेयी को जाता है, वे सहमति के आधार पर काम करते थे। ऐसे अनेक अवसर आए जब विपक्षी दलों से राय करके आगे का रास्ता तय करते थे। अब वह सब समाप्त हो चुका है। अब तो सहमति की जगह टकराव का दौर है। सरकार में बैठे नेता विपक्ष को नीचा दिखाना चाहते हैं।

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