IMF में पहली बार टॉप दो पद पर महिलाएं:गीता गोपीनाथ बनेंगी डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर

सातवीं तक 45% आता था नंबर

मुंबई। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ जल्द ही इसकी उप प्रबंध निदेशक (DMD) बनने वाली हैं। यह पहली बार होगा, जब इस संस्था के टॉप के दोनों पदों पर महिलाएं होंगी। फिलहाल क्रिस्टालिना जार्जिवा इसकी प्रमुख हैं। गीता, जेफ्री ओकामोटो की जगह लेंगी जो अगले साल अपने पद से इस्तीफा देंगे।

2018 में बनी थीं मुख्य अर्थशास्त्री

गीता 2018 में IMF की मुख्य अर्थशास्त्री बनी थीं। उनका समय खत्म होने पर उन्हें हार्वर्ड में वापस लौटना था, पर वे अब हार्वर्ड को छोड़कर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड में ही रहेंगी। उन्हें 21 जनवरी से नई जिम्मेदारी मिलेगी। वे मूलरूप से केरल की हैं। उनकी नागरिकता अमेरिका और भारत दोनों की है। वे अभी भी अपने पिता का ही नाम लगाती हैं। उनके पिता का नाम गोपीनाथ है।

गीता पढ़ाई में थीं कमजोर

उन्होंने एक बार दिए इंटरव्यू में कहा था कि गीता गोपीनाथ पढ़ाई में बहुत कमजोर थीं। सातवीं तक तो उनका नंबर 45% ही आता था। हालांकि इसके बाद उनकी पढ़ाई में सुधार हुआ और वे 90% नंबर के साथ पास होने लगीं।

अर्थशास्त्र में शुरू से ही रही दिलचस्पी

गीता गोपीनाथ की अर्थशास्त्र में शुरू से ही दिलचस्पी रही। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से 1992 में अर्थशास्त्र की पढ़ाई कीं। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की डिग्री उन्होंने हासिल किया। 1994 में वे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में चली गईं। 1996 से 2001 तक उन्होंने यहां पर प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में Phd कीं।

पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान हुई इकबाल से मुलाकात

पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान उनकी मुलाकात इकबाल से हुई और दोनों ने बाद में शादी कर ली। दोनों का एक 18 साल का बेटा राहिल है। गीता गोपीनाथ साल 2001 से 2005 तक शिकागो यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के तौर पर काम कीं। फिर वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनीं। उन्होंने करीबन 40 रिसर्च पेपर भी लिखा है।

विवाद में भी रहीं गीता

हाल के समय में वे एक बार विवाद में भी रहीं। पिछले साल उन्होंने एक इंटरव्यू दिया। इसमें ग्लोबल इकोनॉमी की गिरावट के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था। गीता गोपीनाथ के इस इंटरव्यू ने भारत में विपक्षी पार्टियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए एक हथियार के रूप में काम किया। गोपीनाथ ने 2016 में भारत में बड़े मूल्य वाली नोटों को सिस्टम से बाहर करने की भी आलोचना की थी। हालांकि कृषि कानूनों पर उन्होंने मोदी की जमकर तारीफ कर डाली।

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