मुंबई। मैरिटल रेप (पत्नी की मर्जी के बिना शारीरिक संबंध बनाने) के मामलों में 7 दिन के अंदर देश की दो अदालतों के अलग-अलग फैसले सामने आए हैं। केरल हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को एक फैसले में कहा था कि मैरिटल रेप क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है। वहीं, मुंबई सिटी एडिशनल सेशन कोर्ट ने कहा है कि पत्नी की इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना गैरकानूनी नहीं है।
मुंबई की एक महिला ने सेशन कोर्ट में कहा था कि पति की जबर्दस्ती के चलते उन्हें कमर तक लकवा मार गया। इसके साथ ही पीड़ित ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस भी किया था। वहीं आरोपी और उसके परिवार ने इसे झूठा केस बताते हुए अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
इस मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान जज एस जे घरत ने कहा कि महिला के आरोप कानूनी जांच के दायरे में नहीं आते हैं। साथ ही कहा कि पति अगर पत्नी के साथ सहवास करे तो इसे अवैध नहीं कहा जा सकता है। उसने कोई अनैतिक काम नहीं किया है।
कोर्ट ने कहा- महिला का लकवाग्रस्त होना दुर्भाग्यपूर्ण
जज ने कहा कि मैरिटल रेप भारत में अपराध नहीं है। हालांकि महिला के लकवाग्रस्त होने को कोर्ट ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, लेकिन कहा है कि इसके लिए पूरे परिवार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इस मामले में कस्टोडियल इंट्रोगेशन की जरुरत भी नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि महिला ने दहेज उत्पीड़न का आरोप तो लगाया, लेकिन ये नहीं बताया कि दहेज में क्या-क्या मांगा गया?
महिला का आरोप-शादी के एक महीने बाद से जबरन संबंध बना रहा पति
पीड़ित महिला का कहना है कि उनकी शादी नवंबर 2020 में हुई थी और शादी के एक महीने बाद ही पति ने उससे जबरन संबंध बनाना शुरू कर दिया था। इस दौरान जनवरी में तबीयत बिगड़ने पर वे डॉक्टर के पास गईं तो पता चला कि कमर के निचले हिस्से में लकवा मार गया है।