नई दिल्ली। कैबिनेट मीटिंग में चुनाव में होने वाली फर्जी वोटिंग रोकने के लिए बिल को मंजूरी मिली है। इसके तहत आने वाले समय में वोटर कार्ड को आधार नंबर से जोड़ा जाएगा। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने से फर्जी वोटर कार्ड से होने वाली गड़बड़ी रोकी जा सकेगी।
क्यों लिया गया ये फैसला?
चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की सिफारिश की थी, ताकि मतदाता सूची ज्यादा पारदर्शी हो और फर्जी वोटर हटाए जा सकें। आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने से आदमी एक से ज्यादा वोटर कार्ड नहीं रख सकेगा।
वोटर कार्ड के आधार से लिंक होने पर क्या होगा?
कई बार देखा जाता है कि किसी व्यक्ति का उसके शहर के वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से दूसरे शहर में रह रहा है। इसके चलते वह दूसरे शहर की वोटर लिस्ट में भी नाम जुड़वा लेता है। ऐसे में दोनों जगहों पर उसका नाम वोटर लिस्ट में रहता है। आधार से लिंक होते ही एक वोटर का नाम केवल एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा। यानी, एक शख्स केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।
क्या सभी को आधार से वोटर कार्ड लिंक कराना होगा?
फिलहाल, आधार को वोटर कार्ड से जोड़ना अनिवार्य नहीं वैकल्पिक होगा। यानी, अगर आप अपने वोटर कार्ड को आधार से नहीं जुड़वाना चाहते तो इसके लिए आपको बाध्य नहीं किया जाएगा।
इससे आम आदमी की निजता को खतरा तो नहीं होगा?
नहीं, आधार और वोटर कार्ड जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के लिए कदम उठाएगी।
साल में 4 बार मिलेगा वोटर आईडी बनवाने का मौका
प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी, वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।
इससे क्या फायदा होगा?
भारत निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में रजिस्टर्ड कराने के लिए कई ‘कटऑफ डेट्स’ की वकालत करता रहा है। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि 1 जनवरी के कटऑफ डेट के चलते वोटर लिस्ट की कवायद से कई लोग रह जाते थे। केवल एक कटऑफ डेट होने के कारण 2 जनवरी को 18 साल की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाते थे। इस कारण उन्हें 1 साल इंतजार करना पड़ता था।
2015 में भी शुरू किया था वोटर ID को आधार से जोड़ने का काम
चुनाव आयोग ने 2015 में अपने राष्ट्रीय मतदाता सूची शोधन और प्रमाणीकरण कार्यक्रम (NERPAP) के हिस्से के रूप में मतदाता कार्ड और आधार संख्या को जोड़ने का काम शुरू किया था। बाद में चुनाव आयोग ने आधार के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए कार्यक्रम को छोड़ने का फैसला किया था।
क्या ये नियम लागू हो गया है?
नहीं, अब ये बिल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में पेश होगा। यहां से बिल पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है। इनकी मंजूरी मिलने के बाद ही यह कानून बन जाएगा।