गाड़ियों का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस 1 जून से महंगा, देखें अब कितना चुकाना होगा प्रीमियम

नई दिल्ली। अगले महीने, यानी 1 जून से दोपहिया और चार पहिया वाहनों के साथ अन्य बड़े वाहनों का थर्ड पार्टी बीमा महंगा होने वाला है। यानी, अब आपको थर्ड पार्टी बीमा के लिए ज्यादा प्रीमियम देना होगा। भारतीय बीमा और नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने मोटर वाहनों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की दरों को बढ़ाने को लेकर एक ड्राफ्ट तैयार किया है। 1 जून 2022 से नई दरें लागू हो सकती हैं।

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के लिए 1 जून से कितने रुपए चुकाने होंगे

फोर-व्हीलर के लिए: प्रस्तावित संशोधित दरों के अनुसार 1,000 cc वाली निजी कारों पर 2,072 रुपए की तुलना में 2,094 रुपए की दर लागू होंगी। इसी तरह 1,000 cc से 1,500 cc वाली निजी कारों पर 3,221 रुपए की तुलना में 3,416 रुपए की दर होंगी, जबकि 1,500 cc से ऊपर की कार के मालिकों को 7,890 रुपए की जगह 7,897 रुपए का प्रीमियम देना होगा।

टू-व्हीलर के लिए: दोपहिया वाहनों के मामले में 150 सीसी से 350 cc तक के वाहनों के लिए 1,366 रुपए बतौर प्रीमियम देना होना, जबकि 350 cc से अधिक के वाहनों के लिए प्रीमियम 2,804 रुपए होगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रीमियम
30 केडब्ल्यू तक के नए प्राइवेट इलेक्ट्रिक वीकल (EV) के लिए तीन साल का सिंगल प्रीमियम 5,543 रुपए का होगा। 30 से 65 किलोवाट अधिक क्षमता वाले ईवी के लिए यह 9,044 रुपए होगा। बड़े ईवी के लिए तीन साल का प्रीमियम 20,907 रुपए होगा।

तीन किलोवाट तक के नए दोपहिया ईवी वाहनों का पांच साल का सिंगल प्रीमियम 2,466 रुपए होगा। इसी तरह 3 से 7 किलोवाट तक के दोपहिया ईवी वाहनों का प्रीमियम 3,273 रुपए और सात से 16 किलोवाट तक का प्रीमिय 6,260 रुपए होगा। ज्यादा क्षमता वाले ईवी दोपहिया वाहनों का पांच साल का प्रीमियम 12,849 रुपए होगा।

क्या है मोटर थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस?
थर्ड पार्टी यानी तीसरा पक्ष। पहला पक्ष वाहन मालिक, दूसरा वाहन चालक और दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति तीसरा पक्ष होता है। मोटर वाहन के सार्वजनिक स्थान पर उपयोग के दौरान वाहन से यदि कोई दुर्घटना होती है और किसी तीसरा पक्ष (थर्ड पार्टी) को जान-माल की हानि होती है तो वाहन का मालिक और उसका चालक इस नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कानूनन बाध्य होते हैं। ऐसी स्थिति में आर्थिक मुआवज़े की भरपाई के लिए बीमा कंपनियां थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस करती हैं। बीमा होने पर मुआवज़े की राशि का भुगतान संबंधित बीमा कंपनी करती है।

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