लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मेधा का कोई अंत नहीं – प्रो भालेराव

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को प्राय: हम एक क्रांतिकारी राजनेता, समाज सुधारक, अद्वितीय पत्रकार, और धर्मशास्त्र के प्रखांड पंडित के रूप में जानते है। किन्तु कम लोग ही जानते हैं कि वे एक अत्यंत प्रतिभाशाली गणितज्ञ भी थे। उनका गणित ज्ञान न केवल शैक्षणिक रूप में मजबूत में था, बल्कि यह उनके चिंतन, तर्क, और शास्त्रार्थ की शैली में गहराई से प्रकट होता था।” यह बात राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय में आयोजित भव्य और दिव्य कार्यक्रम में सभी को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. आनंद भालेराव द्वारा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई।

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बारे में बोलते हुए प्रो भालेराव ने आगे बताया कि जो व्यक्ति बुद्धिमान होगा, वही नीतिवान बनेगा; नीतिवान व्यक्ति धैर्यवान होगा और धैर्यवान ही एक सच्चा त्यागी बन सकता है और इन सभी गुणों का समावेश यदि किसी एक व्यक्तित्व में देखने को मिला, तो वह हैं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक।
प्रो. भालेराव ने कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की बुद्धिमत्ता की कल्पना करते समय अंतत: यह कहना ही पड़ता है कि “सरित्पतिचे जल मोजवेना” अर्थात, जैसे समुद्र का जल नहीं गिना जा सकता, वैसे ही उनकी मेधा का कोई अंत नहीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र का सम्मान बढ़ाने में अगर किसी ने अपना योगदान दिया है तो उनकी जयंती मनाना हमारा कर्तव्य है।

अंत में कुलसचिव अमरदीप शर्मा ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के बलिदान को नमन करते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया जिसके बाद उपस्थित सभी शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की प्रतिमा के सामने पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन जनसम्पर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने किया।

Date:

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related