- सूत्रों का दावा..! आबूरोड़, पिण्डवाड़ा, स्वरूपगंज, सिरोही शहरों में बारूद के ढेर पर मुख्य बाजारों को सजाने की कवायद शुरू
- किसकी मिली-भगत से नियमों को ताक पर रखकर जारी हो जाते है पटाखा लाइसेंस…?
- क्या प्रदेश के मुखिया दिखाएंगे गंभीरता आमजन के जीवन को खतरे में डालने के लिए क्यों आतुर है जिम्मेदार..?
सिरोही @ तुषार पुरोहित । सिरोही जिले में आबूरोड, पिंडवाड़ा स्वरूपगंज, और सिरोही जिला मुख्यालय सहित कई शहरों में मुख्य बाजारों में दीपावली के अवसर पर भारी भीड़ भाड़ रहती है। फिर भी जिम्मेदार मुख्य बाजारों में पटाखा लाइसेंस जारी करके आमजन के जीवन को खतरे में डालने के लिए आतुरदिख रहें है। पूर्व में कई बार नियमों को ताक पर रखकर पटाखों के लाइसेंस जारी हो चुके है…। अब इस साल भी ऐसा होने की प्रबल आशंका व्यक्त की जा रही है..! यदि नियमों को ताक पर रखकर मुख्य बाजारों जहां पर अक्सर भीड़भाड़ और सघन आबादी रहती हैं। ऐसी जगह पर पटाखा बेचने की स्वीकृति प्रशासन द्वारा जारी की जाती है, तो यह आमजन की जान के लिए बड़ा ही खतरा पैदा करने वाली स्थिति होगी।.. साथ ही हर दम दुर्घटना होने की भी प्रबल आशंका बनी रहेगी। सिरोही, आबूरोड, पिण्डवाड़ा स्वरूपगंज के मुख्य बाजारों मे पटाखे की दुकान लगाना किसी बड़े खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि दीपावली के पूर्व खरीदारी करने के लिए बाजारों में लोगों का जन सैलाब उमड़ता है। सूत्रों का दावा है की इस बार भी आतिशबाजी की दुकाने मुख्य बाजारों में सजने की आशंका जाहिर की जा रहीं है….! ऐसे हालतो में शहर वासियो की गर्दन पर हादसे की तलवार हर दम लटकेगी रहेगी। जिम्मेदारों की मिली-भगत से बड़े स्तर पर अंदरखाने साठगांठ के चलतें मुख्य बाजारों में वैध और अवैध पटाखों की दुकाने लग़ जाती है…? जो कई बड़े सवाल खड़े करती है। वही शहरों के आस-पास में बारूद के गोदाम भरने को आशंका जाहिर की जा रहीं है…! प्रशासन का ‘अपनों’ पर ‘मेहरबान’ होने का अंदेशा भी है ..? बाजार मे पटाखे की दुकान लगाने को लेकर पटाखा व्यवसायी आश्वास्त दिख रहें है..! पूर्व मे भी आबूरोड़ के पत्थर गली मे पटाखे की दुकान मे आग लग चुकी है। ओर हादसे मे जान तक जा चुकी है..! उसके बाद भी बारूद के ढेर पर इजाजत देने पर प्रशासन क्यों आतुर है … ? भीड़भाड़ वाले इलाकों में हादसा होने की प्रबल आशंका बनी रहती है। इसके बाद भी सिरोही प्रशासन विषय पर गंभीरता से मंथन करने को तैयार नहीं ओर मूकदर्शक होकर यह सब देख रहा है…! प्रदेश के मुखिया भजन लाल शर्मा को विषय पर नजर रखनी होंगी, ओर नियमों को ताक पर रखकर लाइसेंस जारी करने वाले के विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच करवाकर कार्रवाई करनी होंगी। साथ ही बाजारों में आमजन के जीवन पर खतरा उतपन्न न हो इसलिए मुख्य बाजारों से दूर पटाखा दुकाने लगवाने के निर्देश देने होंगे ताकि क़ोई बड़ा हादसा न हो।
क्या कहते है नियम….
दुकान का क्षेत्रफल 9 मीटर से कम और 25 मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। स्थल के ऊपर निवास नहीं होना चाहिए और यह दमकल के आसानी से पहुंचने योग्य होना चाहिए। दुकान ज्वलनशील, विस्फोटक या खतरनाक सामग्री के भंडारण वाले स्थान से कम से कम 15 मीटर दूर होनी चाहिए।
जिम्मेदारों से जवाब मांगते सवाल….?
सिरोही जिले के आबूरोड, पिंडवाड़ा, स्वरूपगंज, सिरोही, के मुख्य बाजारों में आखिर किसकी मेहरबानी से नियमों को ताक पर रखकर वैध और अवैध पटाखों की दुकाने लग जाती है..? इसके पीछे क्या रहस्य है..? और वह कौन सा मिलीभगत का खेल खेला जाता है. जो पटाखा व्यवसाही एक दम निर्भीक होकर मुख्य बाजारों में पटाखा बेचने की स्वीकृति देकर आमजन के जीवन को खतरे में डाला जाता है..?.. गहन जांच का विषय है..? क्या कुछ व्यवसाईयों के लाभ के लिए आमजन का जीवन खतरे में डालना कोई उचित प्रतीत होता है..? नियमानुसार जब मुख्य बाजारों में और भीड़ भाड़ वाले इलाकों में पटाखे की दुकाने नहीं लगा सकते फिर मुख्य बाजारों में ही किसकी कृपा दृष्टि से पटाखे की दुकान सज जाती है..? या यू कहीं के बारूद ढेर पर शहर आ जाते है ऐसा क्यों. ओर इसका जिम्मेदार कौन फिर..? जब नियम विरुद्ध मुख्य बाजारों में पटाखे की दुकान लग जाती है तो उसे पर प्रभावी कार्रवाई प्रशासन द्वारा क्यों नहीं की जाती..? प्रशासन की इस मेहरबानी के पीछे क्या राज छुपे हैं..? इस पर सूबे के मुखिया को मंथन कर उचित एक्शन लेना होगा।