
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) के नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित किया। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में प्रदर्शित वीरता और घरेलू उपकरणों की क्षमता के प्रदर्शन ने स्वदेशी उत्पादों की वैश्विक मांग को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया हमारे रक्षा क्षेत्र को नए सम्मान के साथ देख रही है।
अपने संबोधन राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता और वित्तीय दक्षता को दुरूस्त करने में विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रक्रियाओं में एक भी देरी या त्रुटि सीधे परिचालन तैयारियों को प्रभावित कर सकती है। सिंह ने रक्षा में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी के साथ तालमेल बिठाते हुए डीएडी को ‘नियंत्रक’ से ‘सुविधाकर्ता’ के रूप में विकसित होने का भी आह्वान किया।
राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में चल रहे परिवर्तन का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया, जिनके मार्गदर्शन में देश आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ा है और रक्षा नियोजन, वित्त तथा नवाचार में संरचनात्मक सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “हम जो उपकरण पहले आयात करते थे, उनमें से अधिकांश अब भारत में ही बनाए जा रहे हैं। हमारे सुधार उच्चतम स्तर पर दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता की स्पष्टता के कारण सफल हो रहे हैं।”
रक्षा मंत्री ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2024 में बढ़ते वैश्विक सैन्य व्यय के 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का उल्लेख किया और कहा कि इससे भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योगों के लिए जबरदस्त अवसर खुलते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री के ‘रक्षा में आत्मनिर्भरता’ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत के उद्योगों को वैश्विक मांग में बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए और निर्यात तथा नवाचार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि निर्णय तेजी से लिए जाएं ताकि हम यहीं भारत में बड़े इंजनों का निर्माण शुरू कर सकें और यह काम भारतीयों के हाथों से शुरू हो।” उन्होंने उन्नत स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के निर्माण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
इसके अलावा, राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सामरिक और आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए रक्षा व्यय को महज व्यय के रूप में देखने की धारणा को बदलने का आह्वान किया और कहा कि इसे गुणक प्रभाव वाले आर्थिक निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हाल तक, रक्षा बजट को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में नहीं देखा जाता था। आज, वे विकास के चालक हैं।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत, बाकी दुनिया के साथ, पुनः शस्त्रीकरण के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है, जिसकी विशेषता रक्षा क्षेत्र में पूंजी निवेश है। उन्होंने विभाग से आग्रह किया कि वे अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के सामाजिक प्रभाव विश्लेषण सहित अपनी योजना और आकलन में रक्षा अर्थशास्त्र को शामिल करें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “शांति का समय भ्रम के अलावा कुछ नहीं है। अपेक्षाकृत शांत अवधि के दौरान भी, हमें अनिश्चित परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए। अचानक होने वाले घटनाक्रम हमारी वित्तीय और परिचालन स्थिति में पूर्ण बदलाव ला सकते हैं। चाहे वह उपकरण उत्पादन को बढ़ाना हो या वित्तीय प्रक्रियाओं को अनुकूलित करना हो, हमें हर समय नवीन तकनीकों और उत्तरदायी प्रणालियों के साथ तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने रक्षा विभाग से आग्रह किया कि वे अपनी योजना, बजट और निर्णय लेने की प्रणालियों में इस मानसिकता को शामिल करें।