1860 में आया था इनकम टैक्स का पहला कानून, पहले सालाना छूट की सीमा 200 रुपए थी, अब 2.5 लाख हुई

इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) और फिर बजट (Budget) के साथ ही इनकम टैक्स (Income Tax) को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है. टैक्स में कितनी राहत मिली या कितना बढ़ गया इसको लेकर सबसे ज्यादा रिएक्शन सामने आते हैं. फिलहाल देश में 1961 का आयकर कानून लागू है. समय-समय पर इस कानून में संशोधन किए जाते रहते हैं.

क्या आप जानते हैं कि यह टैक्स अपने देश में कब अस्तित्व में आया और किन बदलावों के साथ यहां तक पहुंचा है. अपने देश में इनकम टैक्स बतौर कानून पहली बार 160 साल पहले आया था. ब्रिटिश राज में अंग्रेज अफसर जेम्स विल्सन ने साल 1860 में पहला बजट पेश किया था. इसी बजट में पहली बार इनकम टैक्स कानून को शामिल किया गया था. ब्रिटेन में साल 1798 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विलियम पिट ने भी सेना का खर्च निकालने के लिए इनकम टैक्स कानून बनाया था. विल्सन का आयकर भी कानून ब्रिटिश इनकम टैक्स कानून के जैसा ही था.

पहले बजट में इनको दी गई थी राहत

मिलिंद संगोराम की लिखी किताब ‘भारतीय इनकम टैक्स की कहानी’ के मुताबिक पहले बजट में 200 रुपये तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स में राहत दी गई थी. इससे ज्यादा की कमाई होने पर तब चार फीसदी टैक्स लेने का प्रावधान किया गया था. साल 1860 के बजट में 200 रुपये से 500 रुपए तक की सालाना आमदनी वालों पर दो फीसदी और 500 रुपये से अधिक की आमदनी पर चार फीसदी टैक्स लगाया गया था.

इनकम टैक्स कानून में आर्मी, नेवी और पुलिसकर्मियों को छूट दी गई थी. उस दौरान ऐसी राहत पाने वाले अधिकतर कर्मचारी अंग्रेज ही होते थे. तब आर्मी के कैप्टन का वेतन 4,980 रुपये और नेवी के लेफ्टिनेंट का 2,100 रुपये हुआ करता था. उस समय इनकम टैक्स कानून का काफी विरोध हुआ था. मद्रास प्रांत के तत्कालीन गवर्नर सर चार्ल्स टेवेलियन ने भी विरोध किया था.

बेहिसाब खर्च से निपटने के लिए अंग्रेजों ने लगाया था टैक्स

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की हालत खस्ता होने लगी थी. देश भर में छिड़े आंदोलन से निपटने में अंग्रेजों को भारी आर्थिक नुकसान हो गया था. ब्रिटिश सेना पर हुए बेहिसाब खर्चे ( 1856-57 में अंग्रेजों ने सेना पर 1 करोड़ 14 लाख पाउंड और 1857-58 में बढ़ाकर 2 करोड़ 10 लाख पाउंड ) और नुकसान से उबरने के लिए ‘द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858’ लागू किया था. इस कानून के बाद भारत के सभी आर्थिक मामलों का नियंत्रण भारत के पहले मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) चार्ल्स वुड के हाथों में आ गया था.

पहले बजट में विल्सन ने लगाए थे तीन टैक्स

साल 1859 में इंग्लैंड का कर्ज 8 करोड़ 10 लाख पाउंड पहुंच गया. ऐसी आर्थिक मुसीबतों से उबरने के लिए इसके चलते ही ब्रिटेन ने नवंबर 1859 में जेम्स विल्सन को भारत भेजा. ब्रिटेन के चार्टर्ड स्टैंडर्ड बैंक के संस्थापक और अर्थशास्त्री विल्सन को भारत में वायसराय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर (वित्त मंत्री) बना दिया गया. इसी विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को भारत का पहला बजट पेश किया. विल्सन ने पहले ही बजट में इनकम टैक्स, लाइसेंस टैक्स और तंबाकू टैक्स जैसे तीन टैक्स का प्रस्ताव दिया.

विल्सन ने दिया था मनुस्मृति का हवाला

टैक्सों की घोषणा करते समय विल्सन ने मनुस्मृति का हवाला दिया था. मनुस्मृति में आयकर के बारे में लिखा है कि शास्त्रों के अनुसार राजा कर लगा सकता है. करों का संबंध प्रजा की आय और व्यय से होना चाहिए. राजा को हद से ज्यादा कर लगाने से बचना चाहिए. करों की वसूली की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि प्रजा कर चुकाते हुए कठिनाई महसूस न करें.

www.incometaxindia.gov.in के मुताबिक मनुस्मृति के अलावा 2300 साल पहले लिखे गए ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ में भी आयकर का जिक्र मिलता है. कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लिखा था- राजा की सत्ता उसके राजकोष की मजबूती पर निर्भर करती है. राजस्व और कर सरकार के लिए आय है. यह उसे अपनी प्रजा की सेवा, सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मिलती है.

कौन थे जेम्स विल्सन, पहले बजट के बाद हो गया निधन

3 जून 1805 को स्कॉटलैंड में रॉकशायर परगने के होइक गांव में जेम्स विल्सन का जन्म हुआ था. अपने माता-पिता की 15 संतानों में चौथे नंबर के जेम्स विल्सन का बचपन काफी गरीबी में बीता. जेम्स विल्सन ने ही दुनिया की सबसे मशहूर बिजनेस मैग्जीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ शुरू की थी. वही इसके पहले संपादक-लेखक भी थे. साल 1844 में जेम्स ने अपनी सारी कमाई मैग्जीन में लगा दी थी. भारत आने के आठ महीने बाद यानी जुलाई 1860 में जेम्स बीमार हो गए और इसी वजह से 11 अगस्त 1860 को उनका निधन हो गया.

साल 1922 में आया था नया इनकम टैक्स कानून

  • – साल 1922 तक देश में आजादी के लड़ाई ने जोर पकड़ लिया था. इसी दौरान असहयोग आंदोलन के समय देश में नया इनकम टैक्स कानून आया. तभी आधुनिक आयकर विभाग का गठन भी किया गया. इस कानून में आयकर अधिकारियों को अलग-अलग नाम दिए गए.
  • – पहली बार परीक्षा के जरिए साल 1946 में आयकर अधिकारियों की सीधी भर्ती हुई. इसीको साल 1953 में भारतीय राजस्व सेवा (Indian Revenue Service / IRS) नाम दिया गया.
  • – साल 1963 तक आय कर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रशासनिक काम थे. इसलिए 1963 में राजस्व अधिनियम केंद्रीय बोर्ड कानून आया, जिसके तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) का गठन किया गया.
  • – साल 1970 तक टैक्स की बकाया राशि वसूल करने का अधिकार विभाग के राज्य प्राधिकारियों के पास था. साल 1972 में टैक्स वसूली के लिए नया विभाग बनाकर उनके कमिश्नर नियुक्त किए गए.

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