रेल मंत्री बोले- छूट देने से रेलवे पर पड़ रहा बोझ इसीलिए इसे फिर से शुरू करने का इरादा नहीं
नई दिल्ली। कोरोना काल से पहले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों यानी सीनियर सिटीजंस को रेल टिकट पर 50% की छूट मिलती थी। लेकिन कोरोना काल में जब रेल सेवा बंद की गई तो इस छूट को खत्म कर दिया गया। लेकिन कोरोना कम होने के बाद जब रेल सेवा को फिर से शुरू किया गया तो सीनियर सिटीजंस को मिलने वाली ये छूट फिर से शुरू नहीं की गई। इतना ही नहीं सरकार का आगे भी सीनियर सिटीजंस को किराए में मिलने वाली छूट देने का कोई इरादा नहीं है।
केवल 3 कैटेगरी के लोगों को मिल रही है छूट की सुविधा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज संसद में एक लिखित जवाब में बताया कि सीनियर सिटीजंस को किराए में छूट देने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। इसलिए इसे बहाल करने की कोई योजना नहीं है। केवल स्पेशल कैटगरी वाले लोगों को किराए में छूट की सुविधा दोबारा शुरू की गई है। इनमें चार श्रेणी के दिव्यांग, 11 कैटगरी के मरीज और और छात्र शामिल हैं। सीनियर सिटीजंस और खिलाड़ियों के साथ-साथ बाकी कैटगरी के यात्रियों के लिए यह सुविधा बहाल नहीं की गई है।
छूट देने से रेलवे को हो रहा घाटा
रेल मंत्री ने कहा कि 2017-18 में सीनियर सिटीजंस को टिकट पर छूट रेलवे पर 1491 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा। 2018-19 में यह राशि 1636 करोड़ रुपए और 2019-20 में 1667 करोड़ रुपए रही।
कोविड के दौरान सीनियर सिटीजन से कमा लिए 1500 करोड़ रुपए
रेलवे ने खिलाड़ी, ट्रांसजेंडर, युद्ध शहीद विधवा, सीनियर सिटीजन सहित 12 श्रेणियों के रियायती किराए को सिर्फ तीन श्रेणियों तक सीमित कर दिया। वहीं 2020 से कोविड की आड़ में सीनियर सिटीजन सहित 53 कैटेगरी में कंसेशन (छूट) सुविधा बंद कर दी थी। 2021-22 में ही रेलवे को 50% तक की छूट बंद करने से लगभग 3400 करोड़ मिले।
दुनियाभर के देश जहां सीनियर सिटीजन को अतिरिक्त सुविधाएं दे रहे हैं, वही भारत ने कंसेशन बंद कर ,सीनियर सिटीजन से 1500 करोड़ अतिरिक्त कमाई की।