रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों ने ही अब तक सरिस्का सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को बाघ-बाघिनों से आबाद किया है। अब बारी उदयपुर के कुंभलगढ की है। दरअसल, गुरुवार को दिल्ली में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की बैठक का आयोजन किया गया।
सवाई माधोपुर. रणथम्भौर के बाघ-बाघिनों ने ही अब तक सरिस्का सहित प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को बाघ-बाघिनों से आबाद किया है। अब बारी उदयपुर के कुंभलगढ की है। दरअसल, गुरुवार को दिल्ली में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रस्तावित कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व को लेकर भी चर्चा की गई। हालांकि अब तक यह योजना प्राथमिक स्तर पर है। ऐसे में यदि कुंभलगढ टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर एनटीसीए की मोहर लगती है तो फिर यहां भी रणथम्भौर से बाघों को भेजा जा सकता है।
रणथम्भौर से भेजा जाएगा युवा बाघ-बाघिनों का जोड़ा
एनटीसीए की ओर से कुंभलगढ़ को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया जाता है तो यहां भी एक बार फिर से बाघ-बाघिनों को बसाने के लिए रणथम्भौर से ही मदद ली जाएगी। जानकारी के अनुसार यहां से एक बाघ-बाघिन का जोड़ा भेजा जा सकता है, ताकि कुंभलगढ़ को आबाद किया जा सके।
एक समस्या यह भी
हालांकि प्रदेश में जब कभी भी बाघ-बाघिनों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की बात आती है तो सबसे पहले रणथम्भौर का ही नाम आता है। अभी तक रणथम्भौर से ही प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया जाता रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में रणथम्भौर में मात्र बारह बाघिनें ऐसी हैं जो जो भविष्य में शावकों को जन्म दे सकती है। ऐसे में यहां से बाघिनों को ऐसे ही शिफ्ट किया जाता रहा तो रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है।
बैठक में इस संबंध में आंशिक रूप से चर्चा की गई थी लेकिन अभी यह प्राथमिक स्तर पर है। इस संबंध में मैं अधिक नहीं कह सकता हूं। हम सरकार के निर्देश के अनुसार काम करते हैं।
अनूप केआर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना, सवाईमाधोपुर।