Rajasthan Cabinet Expansion: जिस तरह से सीएम के चयन में देरी के बाद मंत्रिमण्डल गठन को लेकर भाजपा आलाकमान का रुख रहा है, ऐसे में सभी राजनीतिक पंडित फेल हो गए है। उनके सभी कयास भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं।
जयपुर। Rajasthan Cabinet Expansion: राजस्थान में मंत्रिमण्डल का गठन शनिवार को दोपहर सवा तीन बजे होगा। लेकिन इससे पहले सियासी गलियारे हो या फिर राज्य की आम जनता। सबके जेहन के ये दस सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। जिस तरह से सीएम के चयन में देरी के बाद मंत्रिमण्डल गठन को लेकर भाजपा आलाकमान का रुख रहा है, ऐसे में सभी राजनीतिक पंडित फेल हो गए है। उनके सभी कयास भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। आइए आप भी जानिए जागरूक जनता के साथ आखिर क्या हैं वे सवाल हैं, जो मंत्रिमण्डल गठन से पहले चर्चा में हैं।
1-क्या नए विधायकों को मिलेगा मौका ?
राजस्थान में पहली बार बने विधायक भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर एक नई परम्परा शुरू की है। ऐसे में नए विधायक भी यही उम्मीद लगाए हुए हैं कि हमारा भी मंत्रिमण्डल में नम्बर लग सकता है।
2-महिला विधायकों में अब किसका नम्बर ?
हर सरकार में दो-तीन महिला विधायकों को मंत्रिमण्डल में शामिल किया गया है। हालांकि दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। लेकिन अब भी कम से कम दो महिला विधायकों के भी मंत्री बनने की चर्चा हैं। वैसे भी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय महिला विधायकों को दिया जाता है। इस बार अनिता भदेल, नौक्षम चौधरी, सिद्धि कुमारी व दीप्ति किरन माहेश्वरी के नामों पर सबकी नजरें टिकी हैं। इस बार भाजपा से नौ महिलाएं विधायक बनी हैं।
3-जीते हुए सांसद की पैरवी कितनी मजबूत ?
इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नया प्रयोग किया। इस बार सात सांसदों को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा। इनमें चार जीते और तीन हार गए। इन चार जीते हुए में से एक दिया कुमारी को तो उपमुख्यमंत्री पद से नवाज दिया गया। बाकी शेष तीन सांसद से विधायक बने अब मंत्री पद की पूरी उम्मीद लगाए हुए हैं। इनमें राज्यवर्धन सिंह राठौड़, किरोड़ीलाल मीणा और तीसरे बाबा बालकनाथ हैं। इन तीनों को यदि मंत्रिमण्डल में शामिल नहीं किया जाता है तो यह भी संभावना तलाशी जा सकती हैं क्या इन तीनों में से किसी को दोबारा सांसद का चुनाव लड़ाया जाएगा।
4-पूर्व मंत्रियों की उम्मीद कितनी ज्यादा ?
भाजपा को इस बार कुल 115 सीटें मिली हैं। इनमें से 10 से अधिक पूर्व मंत्री हैं। ये पूर्व मंत्री इस सरकार में भी मंत्री पद की उम्मीद में बैठे हैं। लेकिन जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को दरकिनार कर पहली बार विधायक बने भजनलाल को सीएम बनाया गया, ऐसे में पूर्व मंत्रियों के मन में उथल-पुथल मची हुई है। उन्हें मौका मिलेगा या नहीं।
5-जयपुर जिले में क्या अब भी बची है उम्मीदें ?
हर सरकार में जयपुर जिले से दो-तीन मंत्री बनते आए हैं। इस बार मुख्यमंत्री व दोनों डिप्टी सीएम जयपुर जिले से ही हैं। ऐसे में अब संभावना जयपुर जिले से कम ही नजर आ रही हैं। लेकिन भाजपा की 19 सीटों में से 12 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। तीन विधायकों के मंत्रिमण्डल में गठन होने के बाद अब बाकी शेष नौ विधायक भी उम्मीद लगाए हैं।
6-क्या एक साथ बनाए जाएंगे 27 मंत्री ?
सियासी गलियारों में एक चर्चा यह भी चल रही कि इस बार कितने मंत्री बनाए जाएंगे। चर्चाओं के आधार पर बात करें तो 18 से 20 मंत्री पहले चरण में बनाए जाने की चर्चा ज्यादा चल रही है।
7-हारे हुए विधायक किस उम्मीद में हैं?
सबसे बड़ी चर्चाओं में एक चर्चा यह भी चल रही हैं कि हारे हुए दिग्गज नेताओं की भूमिका क्या रहेगी। इसमें सबसे प्रमुख नाम सतीश पूनिया व राजेन्द्र राठौड़ का नाम है। सतीश पूनिया पूर्व प्रदेशाध्यक्ष के पद पर रह चुके हैं। वहीं राजेन्द्र राठौड़ पूर्व प्रतिपक्ष नेता रहे हैं। इन्हें क्या भूमिका मिलती है, इस पर भी सभी की निगाहें हैं।
8-निर्दलीयों की क्या रह सकती है भूमिका?
हालांकि इस बार भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है। कुल 199 सीटों पर हुए चुनाव में से भाजपा को 115 सीटें हासिल की हैं। भाजपा को सरकार बनाने के लिए किसी निर्दलीय की जरुरत नहीं है। लेकिन कई निर्दलीयों ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को समर्थन दिया है। ऐसे में क्या निर्दलीयों की भूमिका रहती है, इस पर चर्चाओं का बाजार गर्म हैं। लेकिन इस बार किसी निर्दलीय को मंत्रिमण्डल में शामिल किया जाएगा, इसकी संभावना लगभग नहीं है।
9-क्या वसुन्धरा गुट के विधायकों का भी आ सकता है नम्बर ?
वसुन्धरा राजे को दरकिनार कर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भी सीएम के प्रमुख दावेदारों के स्थान पर नए लोगों को ही मौका मिला है। लेकिन वसुन्धरा राजे गुट से जुड़े विधायकों को मंत्रिमण्डल में कितना स्थान मिलता है, यह भी देखने वाली बात रहेगी।
10-लोकसभा चुनाव को कैसा साधेंगे?
इस बार के मंत्रिमण्डल गठन में अहम सवाल यह भी है कि भाजपा आलाकमान जाति, क्षेत्र के साथ-साथ लोकसभा चुनाव को कैसे साधता है। सबसे अधिक चर्चा यही है कि भाजपा आलाकमान को मंत्रिण्मडल गठन में लोकसभा चुनाव की छाया भी देखने को मिल सकती है। भाजपा इस बार भी सभी 25 सीटें जीतना चाहती है। इसी आधार पर पूरी तैयारी कर रही है।