
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जिससे तनाव बढ़ गया है.
मई में ग्रह नक्षत्र कैसी स्थिति बना रहे हैं.
कुछ दिनों पहले कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कई आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जिसमें कई आतंकवादी मारे गए. इस घटना को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल बन गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्या पाकिस्तान पलटवार करेगा और क्या यह युद्ध तक पहुंचेगा?
ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले का बदला भारत ने मुंहतोड़ जवाब देकर लिया है. मई महीने में जो गोचर कालिक ग्रह हैं, वे बेहद अनिष्टकारी हैं यानी कि मित्र के घर में भी शत्रु बैठा हुआ है. बृहस्पति के घर में शुक्र विराजमान है, जो शुभ नहीं माना जाता है. वहीं राजस्थान बूंदी के श्री साकेत पंचांग के अनुसार “वैशाख शुक्ल पंचमी शुक्रे कलहम” यानी कि वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को शुक्रवार पड़ा है, जो शुभ नहीं होता है.
मई का महीना ग्रह नक्षत्र के दृष्टिकोण से कैसा है?
आचार्य जगदीश प्रसाद शर्मा बताते हैं कि मई के महीने में 12 साल बाद गुरु अतिचारी चाल चलकर मिथुन राशि में प्रवेश करने वाले हैं. जब-जब गुरु अतिचारी चाल चलते हैं, युद्ध की परिस्थिति बनती है. इसके साथ ही 18 मई को राहु कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं 18 मई तक शनि और राहु पिशाच योग बनाए हुए हैं, जो ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अशुभ है.
पहलगाम आतंकी हमले से अब तक भारत-पाक युद्ध विश्लेषण
चैत्र मास से ज्येष्ठ मास के बीच 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार होने से खप्पर योग बना जो कि ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना गया है। इसके चलते 15 मार्च से लेकर 11 जून तक भारत के लिए विनाशकारी समय रहेगा। इसका सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान को उठाना पड़ेगा।
वर्तमान में इस वर्ष 2025 में 4 बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 29 मार्च को शनि ने कुंभ से निकलकर मेष में प्रवेश किया है। इसके बाद 14 मई को बृहस्पति वृषभ से निकलकर मिथुन में और 18 मई को राहु मीन से निकलकर कुंभ में और केतु कन्या से निकलकर सिंह में गोचर करने वाले हैं। बृहस्पति ग्रह मिथुन में गोचर करते ही अतिचारी गति से चलेंगे और शनि के मकर, कुंभ के बाद मीन में गोचर से देश-दुनिया में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हो चुका है।
भारत और पाक की कुंडली विश्लेषण
चैत्र मास से ज्येष्ठ मास के बीच 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार होने से खप्पर योग बना जो कि ज्योतिष शास्त्र अनुसार अशुभ माना गया है। इसके चलते 15 मार्च से लेकर 11 जून तक भारत के लिए विनाशकारी समय रहेगा। इसका सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान को उठाना पड़ेगा। पाकिस्तान की कुंडली में केतु लग्न में और सातवें में बुध नीचस्थ है जहां पर शनि और राहु गोचर कर रहे हैं जो संकेत करता है कि पाकिस्तान को भारी नुकसान होगा। क्योंकि नरेंद्र मोदी की कुंडली में मंगल की महादशा के अंतर्गत तृतीय और चतुर्थ भाव के कारक शनि की अंतर्दशा चल रही है जो पंचम भाव में राहु के साथ गोचर कर रहे हैं।
दूसरी ओर भारत की कुंडली में चंद्रमा की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा है। तृतीय भाव यानी पराक्रम के स्वामी चंद्रमा है जहां पर चतुर्थ भाव के स्वामी सूर्य उच्च के होकर गोचर में हैं। इस ग्रह गोचर के चलते लघु युद्ध की संभावना बनती है। उल्लेखनीय है कि हिंदू नववर्ष 2082 के राजा सूर्य, मंत्री भी सूर्य हैं। दूसरी ओर वित्त मंत्री बुध, खाद्यमंत्री शुक्र हैं। यह सिद्धार्थ नामक संवत्सर चल रहा है जो कि भारत के लिए शुभ साबित होगा।
शनि गोचर का प्रभाव
शनि का जब भी उसकी उच्च, नीच, स्वयं की और शत्रु की राशि में गोचर होता है तो देश और दुनिया में भूकंप, तूफान या युद्ध से जनहानि होती है। शनि ग्रह ने जब 24 जनवरी 2020 में खुद की राशि मकर राशि में प्रवेश किया था, तब दुनिया में कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन लग गया था। फिर उसने 29 अप्रैल 2022 को खुद की मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश किया था तब यूक्रेन-रशिया के बाद इजरायल-हमास का युद्ध प्रारंभ हुआ और दुनियाभर में जन विद्रोह एवं असंतोष की भावना फैल गई।
इसके बाद शनि बृहस्पति की राशि मीन में 29 मार्च 2025 को जाने वाला था उससे पहले ही यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि देश और दुनिया में भूकंप और युद्ध का नया दौर चलेगा और खासकर भारत के लिए वर्ष 2025 खराब रहने की आशंका व्यक्त की जा रही थी।
वर्ष 2020 के बाद से ही देश और दुनिया के हालात लगातार बदलते और गिरते जा रहे हैं। महामारी, भूकंप, बाढ़, दंगे, विद्रोह, आंदोलन, तख्तापलट, युद्ध, आतंकवाद और महंगाई की चपेट में हर देश है। ऐसा समय करीब 80 वर्ष पहले था जबकि दूसरा विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ था।
शनि के मीन राशि में जाने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। 1937 (द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत), 1965 (भारत-पाकिस्तान युद्ध) और 1995 (बोस्नियाई युद्ध, जापान में सुनामी) में शनि ने मीन में गोचर किया था। मीन से पहले वह कुंभ और मकर में था तब के हालात भी देखे जा सकते हैं। एक राशि में शनि ढाई साल रहता है। ढाई साल में वह सब कुछ बदलकर रख देता है। अब 2025 में शनि ने फिर से मीन राशि में प्रवेश किया है। मीन से पहले वह कुंभ और मकर में 5 साल रहकर आया है।
आने वाले 5 साल शनि का प्रकोप और बना रहेगा। पांच साल में वह भारत की दशा और दिशा पूर्णत: बदलकर रख देगा और संभवत: पाकिस्तान का नामोनिशान मिटा देगा। ज्योतिषियों का आकलन है कि जब शनि अपनी शत्रु राशि मेष में प्रवेश करेगा तब दुनिया के हालात और भी बुरे हो जाएंगे। शनि देव 3 जून, 2027 को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। 3 जून 2027 ऐसा समय है जबकि की भारत में बड़े बदलाव होंगे।
बृहस्पति गोचर का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति से धरती का मौसम संचालित होता है। इसी के साथ ही वह प्राणियों के जीवन में सुख, शांति और आयु प्रदान करता है परंतु जब बृहस्पति पीड़ित हो जाए तो देश और दुनिया के मौसम के साथ ही शांति भी भंग हो जाती है।
14 मई 2025 से बृहस्पति अपनी अतिचारी चाल चलेंगे। अतिचारी यानी वे तेज एवं सीधी चाल से एक राशि को पार करके समय से पूर्व ही दूरी राशि में प्रवेश करेंगे और वक्री चाल चलते हुए पुन: उसी राशि में लौट आएंगे। इससे धरती के मौसम, जलवायु के साथ ही मानव की सुख एवं शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह चाल करीब 96 माह तक रहेगी।
बृहस्पति की अतिचारी का रिकॉर्ड खराब रहा है। महाभारत काल में यानी 5000 हजार वर्ष पहले गुरु 7 राशियों में 7 वर्ष तक अतिचारी रहे थे। जिसके चलते महायुद्ध हुआ था। करीब 1000 वर्ष पहले भी गुरु अतिचारी हुए थे तब भी बड़े बदलाव हुए थे। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति की असामान्य गति थी।
पिछले कुछ वर्ष पहले यानी 2018 से लेकर 2022 तक बृहस्पति 4 राशियों में अतिचारी थे। इसके चलते देश-दुनिया में युद्ध और महामारी का दौर सभी ने देखा है। अब बताया जा रहा है कि वर्ष 2025 में बृहस्पति की अतिचारी चाल से महायुद्ध होगा। मई 2027 से लेकर जुलाई 2028 तक गुरु की चतुर्थ भाव में गति के चलते भारत की सीमाओं में बड़े पैमाने पर बदलाव होंगे।
राहु गोचर का प्रभाव
राहु ने मेष में रहकर युद्ध, आग और तूफानों को जन्म दिया था। इसके बाद राहु ने वर्ष 30 अक्टूबर 2023 में मीन राशि में प्रवेश किया था तभी से देश और दुनिया में युद्ध के नए मोर्चों पर हालात बिगड़ गए हैं। अब 18 मई 2025 को राहु ग्रह बृहस्पति की राशि मीन से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेगा। कुंभ में राहु के जाने से देश-दुनिया में राजनीतिक हलचल और तेज हो जाएगी। देश और दुनिया में रोग और शोक बढ़ने की संभावना है।
पांच ग्रहों की युति
मीन राशि में ग्रहों का कुंभ चल रहा है जो कि देश और दुनिया में तबाही मचा रहा है। 29 मार्च को पंचग्रही योग था इसके बाद धीरे धीरे ग्रह कम होते गए। ग्रहों की यह युति अभी एक वर्ष तक और चलेगी। इस युति के चलते देश और दुनिया में राजनीतिक हालात में बदलाव देखने को मिल रहे
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी
27 अक्टूबर 2025 को मेष के प्रभाव में तीसरी किस्म की जलवायु आएगी, एशिया का राजा मिस्र का भी सम्राट बनेगा। युद्ध, मौतें, नुकसान और ईसाइयों की शर्म के हालात बनेंगे।
‘अंतिम दौर में दुनिया शनि की विलंबित वापसी से नुकसान उठाएगी। साम्राज्य एक काले राष्ट्र के हाथों चला जाएगा।
‘एक सेनापति उत्सुकतावश पीछे भागती दुश्मन सेना की फौज का पीछा करेगा। वह उसके बचाव चक्र को भेदता हुआ, अंत: उन्हें रोक देगा। वे पैदल भांगेंगे, मगर उनसे अधिक दूर नहीं होगा वह। अंतिम जंग गंगा के किनारे होगी।
‘एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।’
‘सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, ‘
संत अच्युतानंद की भविष्य मालिका की भविष्यवाणी
भविष्य मालिका सहित श्री साकेत पंचाग बूंदी की भविष्यवाणी में लिखा है कि शनि जब मीन राशि में जाएगा तब भारत का समय खराब शुरू होगा। ढाई वर्ष तक अराजकता रहेगी।
एक ओर प्राकृतिक आपदाएं होंगी तो दूसरी ओर होगा महायुद्ध। वहीं लोग बचेंगे तो सत्य और धर्म के मार्ग पर चलेंगे।
जब गगन गादी संभालेंगे तब जगन्नाथ का मंदिर समुद्र के जल में डूब जाएगा। मंदिर क्या संपूर्ण ओडिशा में जल प्रलय होगी।
एक संत के हाथों में होगी देश की बागडोर जो अविवाहित होगा। वही संपूर्ण क्षत्रप होगा।
जब गगन गादी पर होंगे और ओडिशा के दिव्य सिंह राजा गादी पर होंगे तब भारत पर आक्रमण होगा।
ओडिशा पर जो बम गिराए जाएंगे वह काम नहीं करेंगे। अंत में भारत की जीत होगी।
रशिया से सैकड़ों लोग जगन्नाथ जी के दर्शन करने आएंगे और ढेर सारा सोना अर्पित करेंगे।
अमेरिका का एक बड़ा हिस्सा जलमग्न हो जाएगा। चीन के कई टुकड़े हो जाएंगे। पाकिस्तान का नामोनिशान ही मिट जाएगा।