नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार यानी आज से इंडस्ट्री लीडर्स और क्लाइमेट चेंज और इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट्स के साथ प्री-बजट मीटिंग की शुरुआत की। मीटिंग में स्टेकहोल्डर्स से 2023-24 के बजट बनाने के लिए सुझाव मांगे गए।
सीतारमण के साथ, मीटिंग में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और भागवत किशनराव कराड शामिल हुए। इनके अलावा वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, वित्त मंत्रालय के अन्य विभागों के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन भी मीटिंग में मौजूद रहें। 2023-24 का बजट 1 फरवरी 2023 को पेश किया जाएगा।
इन सेक्टर प्रतिनिधियों से भी मीटिंग
22 नवंबर को सीतारमण एग्रीकल्चर और एग्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फाइनेंशियल सेक्टर और कैपिटल मार्केट के प्रतिनिधियों से मिलेंगी। 24 नवंबर को स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और स्वच्छता सहित सामाजिक क्षेत्र के एक्सर्ट के अलावा सर्विस सेक्टर और ट्रेड बॉडीज के प्रतिनिधियों से मिलेंगी। ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों और अर्थशास्त्रियों के साथ मीटिंग 28 नवंबर को होनी है।
CII ने टैक्स रेट में कटौती की सिफारिश की
कंफेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (CII) ने प्री बजट मीटिंग से पहले इनकम टैक्स की दरों में कमी का प्रस्ताव रखा है। इससे लगभग 5.83 करोड़ इंडिविजुअल्स को फायदा हो सकता है। इन लोगों ने असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किया था। CII ने कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर सबसे ज्यादा 28% GST स्लैब में कटौती का भी प्रस्ताव दिया है।
बजट होता क्या है?
जिस तरह से हमें अपने घर को चलाने के लिए एक बजट की जरूरत होती है, उसी तरह से देश को चलाने के लिए भी बजट की जरूरत पड़ती है। हम अपने घर का जो बजट बनाते हैं, वो आमतौर पर महीनेभर का होता है। इसमें हम हिसाब-किताब लगाते हैं कि इस महीने हमने कितना खर्च किया और कितना कमाया। इसी तरह से देश का बजट भी होता है। इसमें सालभर के खर्च और कमाई का लेखा-जोखा होता है।
बजट की पूरी प्रोसेस
- सबसे पहले वित्त मंत्रालय एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थाओं को नए साल के लिए एस्टीमेट बनाने के लिए कहता है। उन्हें नए साल के लिए अनुमान देने के अलावा पिछले साल की खर्च और आमदनी का ब्योरा भी देना होता है।
- एस्टीमेट मिलने के बाद केंद्र सरकार के आला अफसर उसकी पड़ताल करते हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों और व्यय विभाग के अधिकारियों की गहन चर्चा होती है। इसके बाद आंकड़ों को सिफारिशों के साथ वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
- वित्त मंत्रालय सभी सिफारिशों पर गौर करने के बाद विभागों को उनके खर्च के लिए राजस्व का आवंटन करता है। राजस्व और आर्थिक मामलों का विभाग हालात को गहराई से समझने के लिए किसानों और छोटे कारोबारियों के प्रतिनिधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से संपर्क करता है।
- प्री बजट मीटिंग में वित्त मंत्री संबंधित पक्षों के प्रस्ताव और मांगों को जानने के लिए उनसे मिलते हैं। इनमें राज्यों के प्रतिनिधि, बैंकर, कृषि विज्ञानी, अर्थशास्त्री और कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्री-बजट मीटिंग खत्म होने के बाद वित्त मंत्री सभी मांगों पर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट को अंतिम रूप दिए जाने से पहले वित्त मंत्री प्रधानमंत्री से भी बात करते हैं।
- बजट पेश होने से कुछ दिन पहले हलवा सेरेमनी होती है। एक बड़ी सी कड़ाई में तैयार किया जाने वाला हलवा वित्त मंत्रालय के स्टाफ में बांटा जाता है। इसी के साथ बजट की छपाई प्रक्रिया शुरू होती है। प्रक्रिया में लगे अधिकारी और सपोर्ट स्टाफ बजट पेश होने तक मंत्रालय में ही रहते हैं। इस वित्त वर्ष के बजट की प्रिंटिंग नहीं हुई और संसद सदस्यों को उसकी सॉफ्ट कॉपी दी गई।
- वित्त मंत्री आम बजट को लोकसभा में पेश करते हैं। 2016 तक फरवरी के अंतिम दिन पेश होता था। 2017 से यह हर साल 1 फरवरी को पेश होने लगा। इस साल पहली बार बजट के सभी दस्तावेज Union Budget मोबाइल पर उपलब्ध कराए गए।