राहुल तैयार नहीं, कमान सोनिया के पास रहेगी, 2 कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनेंगे
नई दिल्ली। कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही कश्मकश अगले 20 दिन में खत्म हो जाएगी। राहुल गांधी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वे किसी भी सूरत में अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हैं। पार्टी गांधी परिवार से बाहर किसी को नया अध्यक्ष चुने। हालांकि, कांग्रेस के नेता इसके लिए तैयार नहीं है। ऐसे में एक नया फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, नए फॉमूले के तहत अगले 5 साल के लिए सोनिया गांधी ही राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगी। उनके अंडर में दो कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। एक कार्यकारी अध्यक्ष दक्षिण से और दूसरा उत्तर भारत से बनाए जाने की संभावना है। बताया जा रहा है कि इस फॉर्मूले पर पार्टी के भीतर सहमति बनती नजर आ रही है। इसके बाद नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
दक्षिण भारत से खड़गे और रमेश चेनिथला का नाम
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर कर्नाटक से मल्लिकार्जुन खड़गे और केरल से रमेश चेनिथला का नाम सबसे आगे है। खड़गे अभी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रह चुके हैं। दूसरा नाम रमेश चेनिथला का है। वे केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। उन्हें भी गांधी परिवार का करीबी बताया जाता है।
उत्तर भारत से गहलोत-पायलट का नाम, लेकिन दोनों ने मना किया
- कांग्रेस राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट में से किसी एक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना चाह रही है। उत्तर भारत से गहलोत और पायलट दोनों ताकतवर चेहरे हैं। गहलोत अनुभवी नेता है और केंद्र में कई बार मंत्री रह चुके हैं।
- गहलोत तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, तीन बार मुख्यमंत्री और कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। ऐसे में उनके सामने कोई दूसरा चेहरा बेहद हल्का है। हालांकि, गहलोत खुद अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष पद की रेस से अलग होने की बात कर चुके हैं। मुख्यमंत्री का पद छोड़कर शायद ही वे दिल्ली जाएं।
- युवा चेहरे के तौर पर सचिन पायलट का नाम लिया जा रहा है। सचिन पायलट भी राजस्थान छोड़कर कार्यकारी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है। अब देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए गहलोत या पायलट में से किसे मना पाता है। या दोनों के अलावा किसी तीसरे नाम पर सहमति बनेगी। गहलोत या पायलट में से किसी एक के दिल्ली जाने से राजस्थान कांग्रेस का विवाद भी खत्म करने में मदद मिलेगी।
राहुल गांधी 6 महीने भारत जोड़ो यात्रा पर फोकस करेंगे
- अगले महीने 7 सितंबर से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर में खत्म होगी। अगले 6 महीने तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी शामिल होंगे। उनका पूरा ध्यान इसे सफल बनाने पर रहेगा।
- कांग्रेस ने उदयपुर संकल्प शिविर में 2 अक्टूबर से यह यात्रा निकालने का फैसला लिया था। 2 अक्टूबर को नवरात्र की सप्तमी पड़ रही है। इसे देखते हुए यात्रा तय तारीख से पहले निकाली जा रही है। भारत जोड़ो यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर निकलेगी। इस दौरान 3,500 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी।
- 80 साल पहले महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था। इसने 5 साल बाद देश को आजादी दिलाई। उसी की तर्ज पर कांग्रेस कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है।
मोदी के परिवारवाद-वंशवाद के आरोप से भी कांग्रेस असहज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 75वीं सालगिरह पर लाल किले से सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के साथ-साथ परिवारवाद का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। उससे देश को लड़ना ही होगा। दरअसल, भ्रष्टाचार के आरोप के मामले में ED सोनिया और राहुल गांधी से कई घंटे पूछताछ कर चुकी है। PM मोदी ने भ्रष्टाचार के अलावा भाई-भतीजावाद और परिवारवाद का मुद्दा भी उठाया था। ऐसे में राहुल गांधी यह संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस को गांधी परिवार के अलावा दूसरा व्यक्ति भी चला सकता है। हालांकि, इसके लिए कांग्रेस के ज्यादातर नेता तैयार नहीं हो रहे।
अध्यक्ष बनते ही राहुल विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे
- कांग्रेस के भीतर ही एक खेमा राहुल गांधी का विरोध करता है। यह खेमा नहीं चाहता कि वे पार्टी के अध्यक्ष बनें। अध्यक्ष बनते ही यह खेमा राहुल गांधी को निशाने पर लेना शुरू कर सकता है। इससे भविष्य में राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है। 2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी बहुत कम सीटें आई थीं।
- राजस्थान में तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से अपनी सीट हार गए थे। इसके बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में सवाल उठाया था कि कई नेता अपने बेटों को चुनाव लड़ाने तक सीमित रहे। पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने पर उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया।
- इशारे-इशारे में वे कई राज्यों के प्रमुख पदों पर बैठे नेताओं से इस्तीफा चाह रहे थे, लेकिन किसी ने इस्तीफा दिया नहीं। तब उन्होंने खुद पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। पिछले तीन साल से सोनिया गांधी अध्यक्ष पद संभाल रही हैं।
राहुल सिर्फ दो साल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे
पिछले 24 साल से गांधी परिवार के पास ही कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान है। 1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी रहीं। इसके बाद 2017 में राहुल गांधी को कमान दी गई। तब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। 2019 के कांग्रेस लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव हार गई। राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ दिया था।
आगे भी गांधी परिवार के पास ही कांग्रेस की बागडोर
आजादी के बाद पहली बार गांधी परिवार पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है। नेशनल हेराल्ड मामले में ED सोनिया-राहुल से पूछताछ कर चुकी है। अगर गांधी परिवार के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन होता है और उनके पास अध्यक्ष पद नहीं रहा, तो लोगों की सहानुभूति नहीं मिल पाएगी। इसलिए कांग्रेस के सलाहकार गांधी परिवार को पार्टी की कमान अपने पास रखने की सलाह दे रहे हैं, ताकि उन पर कोई एक्शन हो तो कांग्रेस को उसका सियासी फायदा मिल सके।
राज्यों में संगठन स्तर पर चुनाव हुए, पर नतीजों का इंतजार
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए ब्लाक, जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के स्तर पर चुनाव हो चुके हैं। इनके नतीजे घोषित नहीं किए गए। ये लोग ही अध्यक्ष के लिए वोटिंग करते हैं। इसके अलावा AICC के लिए अलग से सदस्य बनाए जाते हैं, जो वोटिंग में हिस्सा लेते है। अब तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। कांग्रेस ने कहा है कि ब्लाक से लेकर AICC तक 50% सदस्यों की उम्र 50 साल से कम होगी। पार्टी ने सभी राज्यों से 30 अगस्त तक इनकी लिस्ट मांगी है।
आने वाले चुनावों पर फोकस करेगी कांग्रेस
2023 तक गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक सहित 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे। इसे ध्यान में रखकर कांग्रेस अपना हर कार्यक्रम तैयार करना चाहती है, ताकि पार्टी के पक्ष में माहौल तैयार हो सके। कुछ राज्यों में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सके। साथ ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार दोबारा आ सके।