बोले- जिस टेप के आधार पर FIR उसमें आवाज गजेंद्र सिंह की
जागरूक जनता नेटवर्क
जयपुर। फोन टेपिंग केस में राजस्थान में सियासत तेज हो गई है। एक बार फिर इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी आज दिल्ली क्राइम ब्रांच के सामने पेश नहीं होंगे। जोशी ने कल ही दिल्ली क्राइम ब्रांच के जांच अधिकारी को सूचना भेज दी थी। जोशी को दिल्ली क्राइम ब्रांच ने आज 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वे दिल्ली नहीं गए। महेश जोशी ने दिल्ली पुलिस के पूछताछ के लिए पेश होने के नोटिस की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि एफआईआर में नाम नहीं है, नोटिस में आरोप मेंशन नहीं है, दिल्ली पुलिस को जवाब भेज दिया है, अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने 19 जून को नोटिस जारी कर महेश जोशी को आज पूछताछ के लिए बुलाया था।
महेश जोशी ने कहा, जिस टेप के आधार पर एफआईआर उसमें आवाज गजेंद्र सिंह की
महेश जोशी ने कहा- मेरा अब भी कहना है जिस टेप के आधार पर एफआईआर दर्ज करवाई थी उसमें आवाज गजेंद्र सिंह शेखावत की है। जिस केस में मुझे नोटिस भेजा उसमें ही 3 जून को नोटिस सर्व कर कोर्ट ने ओएसडी लोकेश को संरक्षण दिया है। गजेंद्र सिंह शेखावत को चुनौती देता हूं कि अगर खुद को पाक साफ मानते हैं तो सीबीआई के सामने हाजिर होकर वॉइस सेंपल दें। कुल मिलाकर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश में असफल होने पर इस तरह के नोटिस देकर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
गजेंद्र सिंह खुद आरोपी, वहां गुर्रा रहे हैं
जोशी ने कहा, गजेंद्र सिंह यहां आरोपी हैं, कुल मिलाकर उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाला मामला है। गजेंद्र सिंह यहां सैम्पल नहीं दे रहे हैं और वहां गुर्रा रहे हैं। पूरी पटकथा एक षडयंत्र है। सरकार को अस्थिर करने की कोशिश तो शुरू से ही हो रही है। चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह मुख्य किरदार के रूप में सामने आए, पीएम को उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करना चाहिए लेकिन नहीं किया। अब तो ऐसा लग रहा है कि पीएम और गृहमंत्री ने मंत्री गजेंद्र सिंह को बचाने का जिम्मा दिल्ली पुलिस को दे दिया है। टेपिंग को लेकर गजेंद्र सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई आखिर उनकी आवाज को लेकर हलफनामा दिल्ली पुलिस को मांगना चहिए था।
बीजेपी का पलटवार, तब महेश जोशी कानून के ज्ञाता बने हुए थे अब क्राइम ब्रांच के नोटिस पर आश्चर्य क्यों?
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने महेश जोशी पर पलटवार करते हुए कहा, मुख्य सचेतक महेश जोशी को दिल्ली क्राइम ब्रांच के नोटिस पर कुछ समझ में नहीं आ रहा है। शायद वे भूल गए हैं कि उन्होंने ही SOG और ACB में मामला दर्ज कराया था जिस पर केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के आवास पर नोटिस भेजा गया। तब वे कानून के ज्ञाता बने हुए थे। अब आश्चर्य क्यों?
बीजेपी प्रवक्ता बोले- महेश जोशी कानून का समन करें, कांग्रेस विधायक ही फोन टेंपिंग के आरोप लगा रहे
बीजेपी प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा, महेश जोशी को कानून का सम्मान करते हुए दिल्ली क्राइम ब्रांच के सामने पेश होकर नोटिस पर अपना पक्ष रखना चाहिए। कांग्रेस के विधयाक खुद अपनी सरकार पर फोन टेपिंग करवाने का आरोप लगा रहे हैं, विधायकों की निजता पर हमला करने का काम राजस्थान की सरकार कर रही है। राजस्थान सरकार अपने कृत्यों के अंदर फंसती हुई नजर आ रही है। अपने दमन पर लगे दागों को साफ करने का काम करे
फोन टेपिंग केस और विवाद, टोटल रिकॉल
पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के वक्त गहलोत खेमे ने 15—16 जुलाई को तीन ऑडियो टेप जारी किए थे। इन ऑडियो टेप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा, तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और एक अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत का दावा किया गया। उस वक्त गहलोत खेमे ने विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया। महेश जोशी ने ऑडियो टेप के आधार पर एसीबी और एसओजी में केस दर्ज करवाया, गजेंद्र सिंह शेखावत और कई लोगों को आरोपी बनाया। एसओजी और एसीबी की टीम गजेंद्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शतर्मा और विश्वेंद्र सिंह के वॉइस सैंपल लेने भी गई थी, उस वक्त टीम केा सफलता नहीं मिली। महीने भर चली खींचतान के बाद में 11 अगस्त 2020 को पायलट खेमे से सुलह हो गई तो एसीबी और एसओजी के केस भी ठंडे बस्ते में डाल दिए।
मार्च में विधानसभा सवाल के जवाब के बाद फिर उछला मामला, फिर एफआईआर
फोन टेपिंग केस और इससे जुड़े विवाद पर छह महीने शांति रही। इस साल मार्च में यह मामला फिर उछला जब बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ के विधानसभा के मानसून सत्र में पूछे गए सवाल का लिखित जवाब आया।सरकार के गृह विभाग ने लिखित सवाल के जवाब में माना कि कानूनी प्रक्रिया अपानकर फोन टेप किए हैं। विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ थाा, तब मंत्री शांति धारीवाल विधानसभा में भी कानूनी प्रक्रिया अपनाकर फोन टेप करने की बात मानी और यह भी माना कि मुख्यमंत्री के ओएसडी ने ऑडियो वायरल किए थे। 25 मार्च को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के परिवाद पर दिल्ली क्राइम ब्रांच ने फोन टेपिंग का केस दर्ज किया जिसमें मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा और पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया। इस मामले में तब से लेकर अब तक जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से 6 अगस्त तक गिरफ्तारी या अन्य कार्रवाई से राहत मिलन गई। दिल्ली हाईकोर्ट में 6 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी। इस बीच सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी को नोटिस जारी कर 24 जून को पूछताछ के लिए बुलाया।