31 महीने में दूसरी बार कांग्रेस विधायकों से वन-टू-वन फीडबैक, लेकिन अंतिम फैसला आलाकमान ही करेगा

विधायकाें के फीडबैक के आधार पर मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है

जयपुर। राजस्थान में दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही कांग्रेस में सियासी घमासान थम नहीं रहा। पहले मुख्यमंत्री पद के लिए कई दिनों तक लंबा विवाद चला। आलाकमान की ओर से रायशुमारी कराई गई। विधायकों से पसंद और फैसले को लेकर सवाल किए गए थे। तब ऑब्जर्वर के तौर पर केसी वेणुगोपाल और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने पार्टी के विधायकों से वन-टू-वन बात की थी, लेकिन अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर लिया था।

अब 31 महीने बाद मंत्रिमंडल फेरबदल से ठीक पहले जिले के प्रभारी मंत्रियों और नए जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश प्रभारी अजय माकन एक-एक विधायकों से मन की बात पूछ रहे हैं, लेकिन मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर अब भी अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर ही लिया जाएगा।

2018 की रायशुमारी : सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट दावेदार थे। दोनों गुट के विधायक अपने-अपने नेताओं को सीएम बनाना चाहते थे। ऐसे में एक राय बनाने को रायशुमारी कराने का फैसला किया। केसी वेणुगोपाल को पार्टी ने ऑब्जर्वर बनाकर भेजा।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केसी वेणुगोपाल और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने केवल दो ही सवाल किए। पहला सीएम के तौर पर आप किसे पसंद करते हो। दूसरा क्या आलाकमान का फैसला आपको मंजूर है। तब विधायकों ने एक पर्ची पर लिखित में अपनी राय दी थी। मंथन के बाद सीएम पद को लेकर अंतिम फैसला राहुल गांधी ने लिया था। उसी के बाद गहलोत को सीएम और पायलट को डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान किया गया।

2021 की रायशुमारी : 31 महीने बाद कांग्रेस की ओर से एक बार फिर रायशुमारी कराई जा रही है। इस बार रायशुमारी मंत्रियों के परफॉर्मेंस और नए जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर है। अंतर इतना है कि विधायकों से वन-टू-वन बातचीत अकेले प्रदेश प्रभारी अजय माकन कर रहे हैं। उनके हर एक पॉइंट को माकन के साथ दिल्ली से आए उनके सहयाेगी रिकॉर्ड कर रहे हैं।

इस दाैरान सत्ता या संगठन से जुड़े किसी व्यक्ति की माैजूदगी नहीं है, जिससे यह संदेश जाए कि किसी भी गुट के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा। विधायकाें के फीडबैक के आधार पर मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। इसके आधार पर उन्हें मंत्रिमंडल में रहने या बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। लेकिन इस पर अंतिम फैसला आलाकमान के स्तर पर ही किया जाएगा।

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