यूक्रेन ही नहीं, NATO पर भी रूस कर सकता है परमाणु हमला! पुतिन पर डाला जा रहा युद्ध फाइनल करने का दबाव


रूस-यूक्रेन युद्ध के लंबा खिंचने पर अब परमाणु युद्ध की आशंका फिर से तेज हो रही है। अगर भारत, ब्राजील और चीन की ओर से युद्ध में शांति के किए जा रहे प्रयास सफल नहीं होते तो दुनिया के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। क्योंकि परमाणु युद्ध का असर किसी न किसी रूप में पूरे विश्व पर होगा।

लंदनः रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब ढाई वर्ष हो चुके हैं। मगर अभी तक यह संघर्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। ऐसे में अब रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर परमाणु हमले का दबाव डाला जाने लगा है। रूस के एक प्रभावशाली विदेश नीति विशेषज्ञ (थिंक टैंक) के अनुसार रूस को “यूक्रेन में नाटो आक्रामकता का समर्थन करने वाले” देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग करने की अपनी इच्छा स्पष्ट रूप से बता देनी चाहिए। एचएडब्ल्यूके नामक संगठन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अब परमाणु हमले को लेकर अधिक मुखर रुख अपनाने के लिए दबाव डाल रहा है।

संगठन के प्रमुख सर्गेई कारागानोव ने कोमर्सेंट अखबार को एक साक्षात्कार में बताया कि मॉस्को संपूर्ण परमाणु युद्ध शुरू किए बिना नाटो देश पर सीमित परमाणु हमला कर सकता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका झूठ अपने सहयोगियों को परमाणु सुरक्षा की गारंटी देने की बात कह कर झूठ बोल रहा था। कारागानोव ने कहा, रूस के परमाणु सिद्धांत का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि सभी वर्तमान और भविष्य के दुश्मन यह जान लें कि रूस परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए तैयार है। यानि जरूरत पड़ने पर सिर्फ यूक्रेन पर ही नहीं, बल्कि नाटो देश भी रूस के परमाणु हमले के शिकार हो सकते हैं।

रूस के कुर्स्क क्षेत्र पर यूक्रेनी कब्जे के बाद परमाणु हमले को तैयार
कुर्स्क क्षेत्र पर यूक्रेन के कब्जे के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर अपनी परमाणु नीति बदलने का दबाव है। यहां रूस और यूक्रेन की सेनाओं में पिछले कई हफ्ते से भीषण युद्ध जारी है। रूसी सेना यहां से यूक्रेन को पीछे धकेलने के लिए संघर्ष कर रही है। कारागानोव ने कहा कि अब यह घोषित करने का समय आ गया है कि हमें अपने क्षेत्र पर किसी भी बड़े हमले का जवाब परमाणु हमले से देने का अधिकार है। यह हमारे क्षेत्र की किसी भी क्षेत्र पर अतिक्रमण (कब्जे) पर भी लागू होता है।”

बता दें कि कारागानोव के बयानों को लेकर विदेश, रक्षा और परमाणु नीति पर रूसी सोच के संकेतक के रूप में पश्चिमी सुरक्षा विशेषज्ञ बारीकी से नजर रख रहे हैं। हालांकि कारागानोव की राय क्रेमलिन की आधिकारिक नीति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, मगर राष्ट्रपति कार्यालय ने उन्हें प्रभावशाली मंचों पर आवाज उठाने और सीधे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने अपनी बात रखने का बार-बार अवसर दिया है।

मॉस्को बदल सकता है परमाणु नीति
कहा जा रहा है कि रूस अब अपनी परमाणु नीति में संशोधन करने के लिए भी तैयार है। बता दें कि करीब एक वर्ष से अधिक समय से कारागानोव रूस के परमाणु सिद्धांत में बदलाव की मांग करने वाले सबसे प्रमुख व्यक्ति हैं। अब मॉस्को ने भी कहा है कि वह इसमें संशोधन करेगा। मॉस्को के वर्तमान सिद्धांत में कहा गया है कि रूस किसी अन्य देश के परमाणु हमले या राज्य के अस्तित्व को खतरे में डालने वाले पारंपरिक हमले के जवाब में परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए तैयार होगा। यानि वह पहले किसी देश पर परमाणु हमला नहीं करेगा। कारागानोव ने कहा, वह सिद्धांत गैर-जिम्मेदाराना और आत्मघाती था, क्योंकि इसने रूस के दुश्मनों को पर्याप्त रूप से नहीं रोका और उन्हें यह विश्वास दिलाया कि शायद ही ऐसी कोई परिस्थिति होगी जिसमें मास्को परमाणु हथियार का उपयोग करेगा।


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