
अलवर . आज गायत्री शक्तिपीठ अलवर पर चैत्र माह की नवरात्रि का गायत्री महायज्ञ के माध्यम से गायत्री साधकों ने अपने साधनाअभियान की पूर्णाहुति संपन्न की। गायत्री परिवार के साधकों के द्वारा प्रतिवर्ष नवरात्रों में गायत्री महामंत्र के लघु अनुष्ठान की साधना की जाती है जिसके अंतर्गत संकल्पित साधक 9 दिनों में 24000 गायत्री महामंत्र का मालाजप अथवा 2400 गायत्री महामंत्र के लेखन की साधना संपन्न करता है और इसकी पूर्णाहुति गायत्री शक्तिपीठ पर अथवा अपने घरों पर गायत्री महायज्ञ के माध्यम से संपन्न करते हैं। इस श्रृंखला में आज गायत्री शक्तिपीठ अलवर पर सुबह 8:30 बजे नो कुंडिय यज्ञ के माध्यम से साधकों ने अपने-अपने अनुष्ठानों की पूर्णाहुति सम्पन्न की तथा भगवान श्री राम जी के अवतरण दिवस पर उनकी पूजा अर्चना एवं स्तुति की तथा गायत्री महायज्ञ में प्रभु श्री रामचंद्र जी,माता जानकी एवं हनुमान जी की आहुतियां गायत्री महामंत्र, महामृत्युंजय मंत्र के साथ यज्ञ में प्रदान की।
आज रामनवमी के दिवस पर गायत्री शक्तिपीठ पर श्रीमती ममता गुप्ता ने 60 हजार गायत्री महामंत्र लिखे हस्त लिखित पुस्तकें गायत्री शक्ति पीठ पर मंत्र उच्चारण के साथ स्थापित की तथा एक माह की नवजात शिशु का नामकरण संस्कार “गतिक्षा” वैदिक रीति के अनुसार हुआ, एक विद्यारंभ संस्कार तथा गुरुदीक्षा संस्कार श्री उत्तम साहू परिव्राजक जी ने सम्पन्न कराया।
गायत्री शक्तिपीठ अलवर पर 9 कुंडिय गायत्री महायज्ञ का संचालन श्री सतीश बड़ाया जी एवं श्री जगदीश प्रसाद गुप्ता तथा मुखराम गुर्जर जी ने किया।
गायत्री शक्तिपीठ अलवर की मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी डॉक्टर सरोज गुप्ता जी ने आए हुए सभी श्रद्धालुओं को नवरात्रि साधना की सफलता एवं भगवान श्री रामचंद्र जी के अवतरण दिवस की शुभकामनाएं एवं सभी के स्वस्थ जीवन एवं उज्जवल भविष्य की प्रार्थना कर सभी का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ अलवर पर संचालित स्वावलंबन अभियान की भी जानकारी प्रदान की।
उपजोंन संयोजक श्री दिनेश गुप्ता जी ने नो अप्रैल को शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशन में होने वाली ज्योति कलश रथ यात्रा की जिले स्तर की समीक्षा बैठक की जानकारी दी।
अगले दिनों गायत्री परिवार योजनाबद्ध रूप से ग्रामीण अंचल में भारतीय सभ्यता और संस्कृति को तथा राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों को जन जन तक स्थापित करने के लिए ग्रामीण स्तर पर टोलियों का गठन कर रहा है।
इस अवसर पर गायत्री परिवार के युवा प्रकोष्ठ, महिला प्रकोष्ठ तथा सभी पांचों जोन्स के स्वयं सेवकों ने अपनी सेवाएं दीं।